अंतर्राष्ट्रीय

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत की रूस के साथ दोस्ती से हमें नहीं पश्चिम को परेशानी

बीजिंग

पीएम मोदी के रूस दौरे पर पड़ोसी चीन का बयान सामने आया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की इस रूस यात्रा को पश्चिमी देश  आशंका के साथ देख रहे हैं। वह यह उम्मीद कर रहे हैं कि चीन के साथ रूस के बढ़ते संबंध संभावित रूप से भारत और रूस के संबंधों में तनाव पैदा कर सकते हैं। इससे नई दिल्ली को लेकर पश्चिम का नजरिया उजागर हो रहा है। कुछ अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने इस संबंध में दावा किया है कि मोदी की रूस यात्रा यह सुनिश्चित करने के लिए है कि रूस अब चीन के और करीब न जा पाए।

रूस- भारत के करीबी रिश्तों को खतरे की तरह नहीं देखता चीन

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि पश्चिम भारत के रूस के साथ गहरे होते संबंधों से अधिक चिंतित है, जबकि चीन, भारत और रूस के करीबी संबंधों को खतरे के रूप में नहीं देखता है, जबकि पश्चिमी देश रूस के साथ भारत के बढ़ते संबंधों से असंतुष्ट हैं। रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर चीन को अमेरिका और पश्चिम से दबाव और आलोचना का सामना करना पड़ा है तो उसके विपरीत भारत को रूस की निंदा न करने या प्रतिबंध न लगाने को लेकर कम आलोचना का सामना करना पड़ा। इसकी बजाय भारत ने रूस से संबंध बनाए रखे और रूस से तेल खरीदकर उसे यूरोपीय देशों को बेचकर खूब लाभ कमाया है।

दबाव के बाद भी रूस आए पीएम मोदी
टाइम्स ने लिखा कि पश्चिमी दबाव के बावजूद भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल को शुरू करने के बाद पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा के लिए रूस गए। विश्लेषकों के अनुसार, उनके इस कदम का उद्देश्य न केवल रूस के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करना है, बल्कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के दबाव से निपटने में भारत की ताकत को भी बढ़ाना है।

भारत की विदेश नीति तारीफ के योग्य
टाइम्स ने लिखा कि वर्तमान में पश्चिमी देश भारत, चीन और रूस के बीच कलह करवाने का प्रयास कर रहा है। पश्चिम और रूस दोनों के साथ भारत के संबंध एक जटिल अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को दर्शाते हैं, जो इस कठिन वैश्विक माहौल में संतुलन तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके साथ-साथ में अपने हितों को भी साधने की कोशिश कर रहे हैं। पश्चिम उम्मीद कर रहा था कि भारत उनके साथ गठबंधन करके रूस के खिलाफ खड़ा है लेकिन ऐसा नहीं है, इसके लिए पश्चिम ने भारत पर दबाव बनाने की भी कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। भारत की विदेश नीति किसी भी पक्ष में पूरी तरह न झुककर अपने हितों को साधने की है। यह दोनों तरफ संतुलन बनाए रखने का प्रयास करती है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button