महाकाल मंदिर में सौमिक अनुष्ठान को सोमयज्ञ सोमवार से होगा शुरू
उज्जैन
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में बारिश के लिए शनिवार से छह दिवसीय सोमयज्ञ का शुभारंभ होने जा रहा है। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सौमिक अनुष्ठान किया जाना है। अब तक सोमनाथ और ओंकारेश्वर में अनुष्ठान संपन्न हो चुका है। महाकाल तीसरा ज्योतिर्लिंग है, जहां अनुष्ठान शुरू होने वाला है।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सोलापुर महाराष्ट्र के मूर्धन्य विद्वान पं.चैतन्य नारायण काले के मार्ग दर्शन में यह दिव्य अनुष्ठान किया जा रहा है। पं. काले ने बताया कि सोमयज्ञ में चारों वेदों के श्रौत विद्वानों के चार-चार के समूह में सोलह ऋत्विक (ब्राह्मण) होते हैं। हर ऋत्विक का कार्य और कर्म सुनिश्चित होता है, उन्हें देवता के रूप में मंत्र वरण होता है। इस तरह इस सोमयज्ञ में 16 ऋत्विक के साथ एक अग्निहोत्री दीक्षित दंपती यजमान के रूप में समाज के प्रतिनिधि स्वरूप सम्मिलित होती है। शास्त्रों में वर्णित है कि सोमयज्ञ में अग्निहोत्री दीक्षित व्यक्ति ही यजमान के रूप में सम्मिलित हो सकते हैं। इसलिए, अग्निहोत्री दीक्षित यजमान सोमयज्ञ को समाज के प्रत्येक व्यक्ति के प्रतिनिधि के स्वरूप में संकल्पित होकर संपन्न कराएंगे।
निर्माल्य द्वार से मिलेगा विद्वानों को प्रवेश, पास जारी होंगे
यज्ञ में शामिल होने आ रहे विद्वान और यजमानों को मंदिर के निर्माल्य द्वार से परिसर में प्रवेश मिलेगा। इन्हें आने जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो और द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मी रोका टोकी न करें इसके लिए मंदिर प्रशासन द्वारा इन्हें विशेष पास भी जारी किए जाएंगे। सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि यज्ञ परिसर में जलस्तंभ के समीप हो रहा है, इसलिए मंदिर की दर्शन व्यवस्था प्रभावित नहीं हो रही है। ऐसे में दर्शन और अन्य व्यवस्थाओं में परिवर्तन नहीं किया गया है। वीआइपी के आगमन पर अलग से व्यवस्था की जाएगी।
यज्ञ में दी जाएंगी खास आहुतियां
योगीराज वेदविद्या आश्रम वार्सी के अनंत उज्जैनकर ने बताया कि सौमिक अनुष्ठान को सोमयज्ञ भी कहा जाता है। सोमयज्ञ को यज्ञों का राजा भी कहा जाता है। इस यज्ञ में दी जाने वाली आहुतियां भी बहुत खास होती हैं। यज्ञ के दौरान विभिन्न प्रकार की औषधियों के साथ-साथ गाय और बकरी के दूध की आहुति भी दी जाएगी। गाय और बकरी को यज्ञ स्थल पर रखा जाएगा।
12 मीटर तक उठती है अग्नि
उज्जैनकर जी के अनुसार, सोम यज्ञ में दी जाने वाली खास आहुतियों के कारण करीब 12 मीटर तक ऊपर अग्रि उठती है। इसीलिए यज्ञशाला को खुला रखते हुए अधिक उंचाई दी गई है। सोमयज्ञ के लिए कईं खास तरह के वेदियों का निर्माण यहां किया गया है। इस यज्ञ को संप्नन करवाने के लिए 16 विद्वान ब्राह्मण महाराष्ट्र के योगीराज वेदविद्या आश्रम आसरवाड़ी से आएंगे।