अंतर्राष्ट्रीय

नेपालगंज में बवाल के बाद अनिश्चितकालीन कर्फ्यू , सांप्रदायिक तनाव

काठमांडू
 नेपाल के नेपालगंज इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी है। भारी तनाव को देखते हुए पूरे नेपालगंज इलाके में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। मुख्‍य जिला अधिकारी बिपिन आचार्य ने कहा कि हिंसा और पत्‍थरबाजी को देखते हुए आम लोगों की सुरक्षा के लिए यह कर्फ्यू लगाया गया है। किसी को भी इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी गई है। स्‍थानीय प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर किसी को कानून का उल्‍लंघन करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस घटना के बाद नेपाल से सटे उत्‍तर प्रदेश के इलाकों में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया है।

हिमालयन टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में नेपाल के अंदर सांप्रदायिक हिंसा में काफी तेजी आई है। हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए अब स्‍थानीय प्रशासन को बार-बार कर्फ्यू लगाना पड़ रहा है। हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों की टेंशन बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि धारन के इलाके में उस समय तनाव भड़क उठा जब एक वीडियो सामने आया जिसमें लोगों को बीफ खाते हुए दिखाया गया था। यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया।

नेपाल में कैसे भड़की सांप्रदायिक हिंसा?

इसके बाद एक दूसरे गुट ने पूरे कोशी प्रांत से लोगों को जुटाया और गायों की रक्षा के लिए रैली निकाला। इस दौरान जमकर हिंसा और पत्‍थरबाजी हुई। हिंसा के बाद बड़े पैमाने पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए। अभी तक हिंसा में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। इसी तरह से मलंगवा और सरलाही इलाकों में हालात को काबू करने के लिए काफी लंबे समय तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। इसी तरह से मलंगवा इलाके में भगवान गणेश की प्रतिमा के व‍िसर्जन के दौरान हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हिंसा भड़क उठी थी।

बताया जा रहा है कि इस हिंसा में एक दर्जन लोग घायल हो गए और 24 साल के रुपेश यादव को चाकूओं से कई बार गोद डाला गया। बताया जा रहा है कि रुपेश पर दूसरे पक्ष के लोगों ने हमला किया था। रुपेश का अभी बीरगंज के अस्‍पताल में इलाज चल रहा है। इस हिंसा के बाद हिंदुओं ने बीरगंज में प्रदर्शन किया और दुकानों को बंद कराने की कोशिश की। हालांकि सुरक्षा बलों ने उन्‍हें रोक दिया। इसके बाद स्‍थानीय प्रशासन ने एक शांति रैली आयोजित की।

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