राष्‍ट्रीय

AIIMS के कार्यक्रम में बोले केंद्रीय मंत्री बघेल- ‘झोलाछाप डॉक्टरी गैर इरादतन हत्या की तरह’

नई दिल्ली

आर्थिक रूप से संपन्न लोग बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों में अपनी पसंद के डॉक्टरों से इलाज कराते हैं, लेकिन देश की बड़ी आबादी एम्स और सरकारी अस्पतालों पर निर्भर है। झोलाछाप डॉक्टरों के पास भी कुछ लोग जाते हैं। झोलाछाप डॉक्टरी गैर इरादतन हत्या की तरह है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत है। यह कहना है केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल का। वह सोमवार को एम्स के 68वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

बघेल ने कहा कि संसद सदस्यों के पास सबसे अधिक लोग एम्स में इलाज की सिफारिशें कराने के लिए पहुंचते हैं। सफदरजंग अस्पताल जले हुए मामलों के इलाज के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। काफी मरीज एम्स में इलाज के लिए पत्र लिखवाते हैं। एम्स के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने संस्थान की उपलब्धियों को बताया और कहा कि एम्स को राष्ट्रीय संसाधन केंद्र के रूप में मान्यता मिली है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के दिशा निर्देश के अनुसार एम्स 100 मेडिकल कॉलेजों को प्रशिक्षित कर रहा है। एक साल में इलाज के लिए 20 लाख लोग एम्स आए। हमने सालभर में डेढ़ लाख सर्जरी की।

स्वदेशी टीके से रुपये बचे : डॉक्टर पाल
कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पाल ने कहा कि कोरोना के स्वदेशी टीके के विकास पर सरकार ने 775 करोड़ रुपये खर्च किए। टीकाकरण से करीब 34 लाख लोगों की जान बची और करीब एक लाख नौ हजार करोड़ रुपये भी बचे। यदि अमेरिका में विकसित टीके खरीदने पड़ते तो जीडीपी का एक प्रतिशत से अधिक हिस्सा खर्च होता। स्वदेशी टीका उपलब्ध होने से टीकाकरण पर करीब 30 हजार करोड़ खर्च हुआ। 98 प्रतिशत टीकाकरण सरकारी अस्पतालों में निशुल्क हुआ। दो प्रतिशत टीकाकरण ही निजी अस्पतालों में हुआ।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button