छत्‍तीसगढ़

राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का हुआ समापन

रायपुर

संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी अंतिम दिन रविवार को संगोष्ठी के प्रतिभागी अध्येताओं ने नवा रायपुर उपरवारा स्थित पुरखौती मुक्तांगन मुक्ताकाशी संग्रहालय का भ्रमण किया। संगोष्ठी प्रभारी डॉ पी सी पारख उप संचालक ने पुरखौती मुक्तांगन मुक्ताकाशी संग्रहालय की स्थापना और पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे कलाम आजाद के आगमन प्रसंग के बारे में बताया।

 सहायक अभियंता पोखराज पुरी गोस्वामी ने शोध अध्येताओं को छत्तीसगढ़ चौक होकर पहले आमचो बस्तर में निर्मित गोटूल, देवगुड़ी, जातरा, घानासार और आदिवासी समुदायों के रहवास तथा फिर सरगुजा प्रखंड के आवासीय संकुल सहित रामगढ़ की गुफाओं, सरगुजा राजमहल, डीपाडीह मंदिर और रजवार गृह के प्रदर्शों को दिखाया और उनके बारे में विस्तार से जानकारी दी। समापन सत्र में परिचर्चा के दौरान राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के संग्रहालय विज्ञानी डॉ संजीब कुमार सिंह, नागपुर के मुद्राशास्त्री और अभिलेख शास्त्री डॉ जी एस ख़्वाजा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. एस के चहल, कोलकाता राज्य अभिलेखागार के पूर्व अधिकारी डॉ. आनंदा भट्टाचार्य और मैनपुर कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. ब्रज किशोर प्रसाद ने संगोष्ठी के संबंध में अपने अनुभव साझा किए और इसे भविष्य के अनुसंधानों के लिए बहुत उपयोगी बताया।

उपस्थित विद्वानों ने विभाग के आतिथ्य और अन्य व्यवस्थाओं की सराहना की और सफल आयोजन के लिए संचालक के प्रति आभार जताया। सभी ने उपस्थित नई पीढ़ी के शोधार्थियों को प्रेरक संबोधन भी दिए। कृतज्ञता ज्ञापन डॉ. जे आर भगत उप संचालक ने किया और कार्यक्रम का संचालन प्रभात कुमार सिंह पुरातत्त्ववेत्ता ने किया। कार्यक्रम में संचालनालय के डॉ. वृषोत्तम साहू, प्रवीन तिर्की, तापस बसाक, राजीव मिंज, समीर टल्लू, मुकेश जोशी, अरुण निर्मलकर एवं अन्य कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।

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