आप कहीं जाने अनजाने तिरंगे का अपमान तो नहीं कर रहे! पढ़ें ध्वजारोहण से जुड़े सभी नियम
नई दिल्ली
15 अगस्त, 2023 को पूरा देश 76 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाएगा, जिसकी तैयारियां शुरू हो गई है। स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए राष्ट्रीय ध्वज फहराना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। हमारा ध्वज राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और गरिमामय राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है।
देश के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगे के नाम से जाना जाता है, जो तीन केसरिया, सफेद और हरे रंग का होता है। इसमें सफेद पट्टी के बीच एक नीले रंग का अशोक चक्र होता है। इस अशोक चक्र में 24 तीलियां होती हैं।
हमारे देश में तिरंगे का बहुत अधिक सम्मान किया जाता है। देश के तिरंगे को फहराना कोई आम ध्वज फहराने जैसा नहीं है। देश में ध्वजारोहण के लिए कई नियम और सिद्धांत हैं, जिनको ध्यान में रखकर ही हर एक नागरिक को ध्वजारोहण करना चाहिए। हर घर तिरंगा अभियान के साथ ही गृह मंत्रालय ने भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में संशोधन किया है।
राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के लिए सभी कानूनों, सम्मेलनों, प्रथाओं और निर्देशों को एक साथ लाने के लिए भारत का ध्वज कोड पेश किया गया था। यह निजी, सार्वजनिक और सरकारी संस्थानों में लगाए जाने वाले झंडे की भी निगरानी करता है। भारतीय ध्वज संहिता 26 जनवरी, 2002 को लागू हुई और 30 दिसंबर, 2021 को इसमें कुछ संशोधन हुए। इस खबर में हम आपको उन नियमों के बारे में बताएंगे, जिनका पालन करना सभी नागरिक के लिए अनिवार्य होता है।
सबसे पहले बताते हैं कि ध्वज संहिता, 2002 के मुताबिक, भारतीय ध्वज को बनाने के लिए भी नियम हैं। आम शब्दों में कहें तो हम किसी भी आकार और अनुपात में भारतीय ध्वज को डिजाइन नहीं कर सकते हैं। संहिता के मुताबिक, राष्ट्रीय झंडा आकार में आयताकार होना चाहिए, जिसका अनुपात 3:2 होता है।
जब तिरंगे को किसी अन्य देश के राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराया जाता है, तो इसे दूसरे देश के ध्वज के बाईं ओर रखा जाना चाहिए। हालांकि, जब तिरंगे को संयुक्त राष्ट्र के झंडे के साथ फहराया जाता है, तो इसे उसके दोनों ओर फहराया जा सकता है।
किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए भारतीय ध्वज को नहीं झुकाना चाहिए। हालांकि, किसी कारण यदि सरकार सार्वजनिक आदेश देते हैं, तो इसे आधा झुकाया जाता है।
तिरंगे का इस्तेमाल किसी पोशाक, रूमाल या वर्दी के लिए नहीं किया जा सकता है।
झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं होने चाहिए।
झंडे का प्रयोग किसी प्रतिमा या स्मारक को ढकने के लिए नहीं कर सकते हैं।
झंडे को जानबूझकर जमीन को छूने और पानी में डूबता नहीं छोड़ना चाहिए।
तिरंगा झंडा फहराते हुए खास ध्यान रखना चाहिए कि इसका केसरिया रंग ऊपर की ओर ही हो।
स्कूलों, विश्वविद्यालयों और गैर-सरकारी संगठनों के लिए नियम और सिद्धांत
क्षतिग्रस्त और अस्त-व्यस्त झंडा बिल्कुल प्रदर्शित नहीं करना चाहिए।
ध्वज को किसी अन्य ध्वज के साथ एक ही ध्वज-दंड में नहीं फहराना चाहिए।
जब किसी वक्ता के मंच के पास झंडा फहराया जाता है, तो इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि झंडा वक्ता के पीछे और उससे ऊंचा होना चाहिए।
जब भारतीय ध्वज को किसी भी संस्था या देश का झंडे के साथ फहराया जाता है, तो वह तिरंगे से ऊंचा और बड़ा नहीं होना चाहिए।
झंडे का इस्तेमाल किसी तरह की सजावट या पताका के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
झंडे को बांधते समय ध्यान रखना चाहिए कि वो किसी तरह से क्षतिग्रस्त न हो।
झंडा अभिवादन के बाद राष्ट्रगान होना चाहिए। इस कार्यक्रम के दौरान परेड सावधान अवस्था में होनी चाहिए।