अंतर्राष्ट्रीय

दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध थ्री जॉर्ज एक दैत्‍याकार इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रॉजेक्‍ट

बीजिंग
 चीन दुनिया के सबसे बड़े बांध बनाने में पूरी ताकत से जुटा हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध थ्री जॉर्ज एक दैत्‍याकार इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रॉजेक्‍ट है जो धरती की घूमने की ताकत को प्रभावित कर रहा है। आईएफएल साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक यह बांध मध्‍य चीन में के हुबेई प्रांत में है। यह बांध यूरेशिया की सबसे बड़ी नदी यांगट्जी पर बनाया गया है। इस बांध में नजदीक की तीन घाटियों से पानी आता है। इसके पानी से टर्बाइन को घुमाया जाता है और बिजली पैदा की जाती है। इस बांध के धरती को हिला देने की ताकत को सबसे पहले साल 2005 में अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों की ओर से खोजा गया था।

नासा के वैज्ञानिकों ने पाया था कि साल 2004 में आए बेहद शक्तिशाली भूकंप और हिंद महासागर में आई प्रलयकारी सुनामी से धरती का चक्‍कर लगाना प्रभावित हो गया था। नासा ने बताया था कि किसी तरह से धरती पर द्रव्‍यमान के वितरण को बदलने से ग्रह के जड़त्‍व आघूर्ण पर बहुत कम प्रभाव पड़ सकता है। उन्‍होंने बताया कि इसी तरह से टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण आए भूकंप के बाद पृथ्वी के घूमने पर भी असर पड़ सकता है। नासा के वैज्ञानिकों ने पाया कि साल 2004 के भूकंप के कारण धरती के द्रव्‍यमान वितरण में बदलाव आया और दिन की लंबाई 2.68 माइक्रोसेकंड कम हो गई।

धरती पर दिन को बढ़ा सकते हैं चीन के बांध

नासा के विशेषज्ञों ने कहा कि अगर बहुत बड़े पैमाने पर पानी का बदलाव किया जाता है तो भी धरती के चक्‍कर लगाने को प्रभावित किया जा सकता है। आईएफएल साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 में नासा के गोड्डार्ड स्‍पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक डाक्‍टर बेंजामिन फोंग चाओ ने बताया था कि चीन का विशाल बांध 40 क्‍यूबिक किमी तक पानी को संग्रह कर सकता है। इस गणना के मुताबिक द्रव्‍यमान में बदलाव धरती पर दिन को 0.06 सेकंड तक बढ़ा सकता है। यह बदलाव धरती के ध्रुवों की स्थिति को दो सेंटीमीटर तक बदल सकता है।

आईएफएल साइंस ने कहा कि अगर विशाल भूकंपों से तुलना करें तो यह बहुत ज्‍यादा नहीं है लेकिन एक मानव निर्मित ढांचे के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है। इसमें आगे कहा गया है कि इंसान धरती के चक्‍कर लगाने को अन्‍य तरीकों से प्रभाव‍ित कर रहा है। इसमें कहा गया है कि इसी तरह से जलवायु परिवर्तन और इसका प्रभाव धरती के द्रव्‍यमान के वितरण पर असर डाल रहा है। तापमान बढ़ने और ध्रुवीय बर्फ के पिघलने तथा उष्‍ण कटिबंधीय समुद्रों के बढ़ने से ध्रुवों की तुलना में धरती के भूमध्‍यरेखा पर द्रव्‍यमान ज्‍यादा इकट्ठा हो गया है। इससे धरती की घूमने की गति प्रभावित हो रही है और दिन हल्‍के से बड़े हो गए हैं।

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