कारोबार

भारत की सबसे पुरानी और भरोसेमंद फार्मा कंपनी सिप्‍ला बिकने जा रही

नई दिल्‍ली.
 देश के फार्मा सेक्‍टर में बड़ा नाम कमा चुकी सिप्‍ला (Cipla) के प्रमोटर्स ने अपनी हिस्‍सेदारी बेचने का ऐलान कर दिया है. इसे खरीदने के लिए दो बड़ी फार्मा कंपनियों ने बोली लगाने की तैयारी भी कर ली है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर देश की सबसे पुरानी और भरोसेमंद फार्मा कंपनी की कमान किसी और के हाथ जाने पर दवा बाजार पर क्‍या असर पड़ेगा.

सिप्‍ला कंपनी की नींव आजादी से भी पहले साल 1935 में ख्‍वाजा अब्‍दुल हमीद ने रखी थी, जो गांधी जी के आदर्शों को बहुत मानते थे. साल 1972 में उनकी मौत होने के बाद युसुफ हमीद और उनके भाई मुस्‍तफा हमीद ने इसकी जिम्‍मेदारी संभाली. युसुफ फिलहाल 2.7 अरब डॉलर वाली सिप्‍ला कंपनी के नॉन एग्‍जीक्‍यूटिव चेयरमैन हैं. 30 जून, 2023 तक सिप्‍ला कंपनी में हमीद परिवार यानी प्रमोटर्स की कुल हिस्‍सेदारी 33.4 फीसदी थी, जो फिलहाल कंपनी में सबसे ज्‍यादा है.

कौन हैं खरीदने की रेस में
फिलहाल सिप्‍ला कंपनी को खरीदने की रेस में दो फार्मा कंपनियां हैं. एक तो अहमदाबाद की टोरेंट फार्मा है, जिसे साल 1959 में यूएन मेहता ने शुरू की थी. दूसरी है हैदराबाद की डॉ रेड्डीज है, जिसे साल 1984 में के. अंजी रेड्डी ने शुरू की थी. दोनों ही भारतीय कंपनियों को सिप्‍ला की ऑथेंटिसिटी के बारे में पता है और दोनों जानती है कि एक बड़ा उपभोक्‍ता वर्ग इस कंपनी को काफी भरोसा करता है.

एक तरफ है प्राइवेट इक्विटी फर्म बेन कैपिटल जिसने डॉ रेड्डीज के साथ मिलकर सिप्‍ला को खरीदने की प्‍लानिंग बनाई है. वहीं, प्राइवेट इक्विटी फर्म ब्‍लैकस्‍टोन ने पहले ही टोरेंट के साथ मिलकर सिप्‍ला के लिए बोली लगा दी है. अब दोनों ही कंपनियां अपने-अपने पार्टनर्स के साथ मिलकर कंपनी खरीदने की तैयारी में हैं. अगर रेड्डीज इस हिस्‍सेदारी को खरीदने में सफल हो जाती है तो वह देश की नहीं, विश्‍व की कई बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ देगी.

तीनों कंपनियों में किसी दवा सस्‍ती
ऐसा कहा जाता है कि सिप्‍ला ने भारतीय दवा मार्केट को काफी फायदा दिया है. इस कंपनी ने अपनी दवाओं की कीमतों को थामे रखा और बाकी कंपनियों को भी प्रतिस्‍पर्धा ध्‍यान में रखते हुए अपनी कीमतें न बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा. अब अगर हम तीनों कंपनियों की एक ही इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली दवाओं की कीमतें देखें तो अंतर भी साफ पता चल जाएगा.

हम बात करते हैं सबसे सामान्‍य दर्द निवारक दवा की. डॉ रेड्डीज की दर्द निवाक दवा है नाइस (NISE) जिसके 100 एमजी वाले 10 टैबलेट के एक पत्‍ते की कीमत नेटमेड्स पर 80.25 रुपये है. इसी फॉर्मूले की दवा सिप्‍ला कंपनी निसिप (NICIP) के नाम से बेचती है. 100एमजी के 10 टैबलेट वाले एक पत्‍ते दवा की कीमत है 26.07 रुपये. वहीं, टोरेंट डाइक्‍लोजेसिक (Diclogesic) नाम से पेन किलर बेचती है. इसके 10 टैबलेट वाले पत्‍ते की कीमत 55.25 रुपये है.

इस तरह, अगर हम दवा की कीमतों को देखें तो सिप्‍ला की पेन किलर के मुकाबले टोरेंट की पेन किलर दवा दोगुनी महंगी है तो डॉ रेड्डीज की 3 गुनी से भी ज्‍यादा महंगी है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों में जो भी कंपनी सिप्‍ला की हिस्‍सेदारी खरीदेगी, वह इसकी कीमतों में बढ़ोतरी भी कर सकती है या फिर इसके ब्रांड को खत्‍म कर सकती है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button