मध्‍यप्रदेश

एक परिवार के छह लोगों ने ली दीक्षा, जैन समाज के लोगों ने स्वागत किया

शिवपुरी

शिवपुरी जिले की दो बहनें, रिया और गुंजन, 15 नवंबर को जैन साध्वी बन जाएंगी। उनके दादाजी, माता-पिता और भाई पहले ही जैन धर्म अपना चुके हैं। दिल्ली में आचार्य विमर्श सागर महाराज उन्हें दीक्षा देंगे। शिवपुरी से एक साथ चार महिलाएं आर्यिका बनेंगी जो अपने आप में एक अनोखा मामला है। जैन समाज के लोगों ने दोनों बहनों का स्वागत किया है।

रिया और गुंजन के परिवार में कुल 6 लोग जैन धर्म की दीक्षा ले चुके हैं। रिया 25 साल की हैं और 12वीं पास हैं। वो मेहंदी लगाने में माहिर हैं। गुंजन 29 साल की हैं और उन्होंने बीए किया है। 2016 में जब उन्होंने अपने दादा, माता-पिता और भाई को जैन दीक्षा लेते देखा तो उनके मन में भी वैराग्य का भाव जागा। तब से वो भी इसी राह पर चल रही हैं। अब वो 15 नवंबर को दिल्ली में आर्यिका दीक्षा लेंगी।

रिया और गुंजन को वैराग्य धारण करने की प्रेरणा परिवार से मिली है। उनके माता-पिता मुनि विश्वार्थ सागर, मां आर्यिका विनयांश्री, भाई मुनि विशुभ्र सागर और दादा मुनि विश्वांत सागर महाराज ने 2016 में दीक्षा ली थी। इन सभी ने 2016 में देवेंद्र नगर पन्ना में आचार्य विमर्श सागर महाराज से दीक्षा ली थी। उसी समय दोनों बहनों में वैराग्य का भाव आया और मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ गईं। आर्यिका व्रत ग्रहण करने के बाद संसार और परिवार से नाता टूट जाता है। इसलिए इसका अभ्यास इन दोनों बहनों ने पहले घर पर किया। फिर ब्रह्मचर्य व्रत लेकर धर्मसाधना की अब वह मोक्ष मार्ग पर आगे बढ रही हैं।

शिवपुरी की 68 वर्षीय मित्रवती भी आर्यिका बनने जा रही हैं। उन्हें उनकी बेटी, आर्यिका विक्रांत श्री, से प्रेरणा मिली। मित्रवती बताती हैं कि उनकी बेटी अक्सर उनसे कहती थीं कि जब तक हाथ-पैर चल रहे हैं, धर्म का रास्ता अपना लो। बेटी की इन बातों का उन पर गहरा असर हुआ और उन्होंने भी जैन धर्म अपनाने का फैसला कर लिया।

इसके साथ ही दीपा दीदी भी 15 नवंबर को आर्यिका दीक्षा लेंगी। उन्हें बचपन से ही उनकी मां शारदा से धर्म के संस्कार मिले। वो बताती हैं कि एक बार धूप में बैठने पर जब उन्होंने अपनी मां से कहा कि उन्हें गर्मी लग रही है, तो उनकी मां ने जवाब दिया कि तुम जरा सी धूप से चिक गईं, नरकों में तो इस जीव को कितनी गर्मी ठंडी की वेदना सहनी पड़ती है। इसलिए खुद को मजबूत बनाओ। मां की बातों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने भी धर्म का रास्ता चुन लिया।
वहीं, शिवपुरी में इन सभी 13 दीक्षार्थियों का भव्य स्वागत किया गया। छत्री जैन मंदिर में उनकी गोद भराई की रस्म हुई और शहर में एक शोभायात्रा भी निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। यह घटना शिवपुरी के लिए बेहद खास है क्योंकि यहां से पहली बार एक साथ 4 महिलाएं आर्यिका बनने जा रही हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है।

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