खेल संसार

खनिज कंपनियों और केंद्र को ‘सुप्रीम’ झटका, नौ जजों की बेंच ने कहा- खनिज संपदा पर टैक्स पहली अप्रैल, 2005 से लागू होगा

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान बेंच ने केंद्र और खनिज कंपनियों को बड़ा झटका दिया है। संविधान बेंच ने कहा है कि खनिज संपदा पर टैक्स 1 अप्रैल, 2005 से लागू होगा। संविधान बेंच ने कहा कि 1 अप्रैल, 2005 से कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगेगा। राज्य सरकारें 12 साल की अवधि में टैक्स ले सकेंगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई को इस सवाल पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस बात का विरोध किया था कि राज्य सरकारें खनिज संपदा पर केंद्र की ओर से लगाए गए रॉयल्टी का रिफंड मांग सकती हैं। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर टैक्स का रिफंड मांगा जाएगा तो इसके बहुआयामी प्रभाव होंगे। मेहता ने कहा था कि मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार का कहना है कि इस फैसले को आगे से लागू किया जाए। सुनवाई के दौरान विपक्ष शासित प्रदेशों ने मांग की थी कि इस आदेश को पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू किया जाए ताकि वे केंद्र से रिफंड मांग सकें। इस दौरान खनन गतिविधियों जुड़ी कंपनियों और फर्मों ने केंद्र के रुख का समर्थन किया था।

25 जुलाई को नौ सदस्यीय संविधान बेंच ने 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि राज्य सरकारों को खनिज संपदा पर टैक्स लगाने का अधिकार है । राज्यों के इस अधिकार को केंद्रीय कानून माइंस एंड मिनिरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समेत आठ जजों ने ये फैसला दिया था, जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस फैसले के उलट फैसला दिया था।

इस मामले की शुरुआत इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद से हुई थी। इंडिया सीमेंट्स खनन लीज लेने के बाद तमिलनाडु सरकार को रॉयल्टी दे रही थी। तमिलनाडु सरकार ने इस रॉयल्टी के अलावा इंडिया सीमेंट्स पर एक और सेस लगा दिया। इसके बाद इंडिया सीमेंट्स ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इंडिया सीमेंट्स का कहना था कि रॉयल्टी पर सेस लगाना रॉयल्टी पर टैक्स लगाना है जो कि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। तमिलनाडु सरकार का कहना था कि सेस भू-राजस्व के तहत है और ये खनिज संपदा के अधिकार की बात है जो राज्य सरकार लगा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने 1989 में इंडिया सीमेंट्स के पक्ष में फैसला दिया। सात जजों की बेंच ने कहा था कि खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। इस बेंच ने कहा था कि राज्य सरकार रॉयल्टी लगा सकती है लेकिन उस पर टैक्स नहीं लगा सकती है। नौ सदस्यीय संविधान बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ह्रषिकेश राय, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुईंया, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस एजी मसीह शामिल रहे।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button