BJP की हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति, 75 पार की जगह नया नारा दिया
रोहतक
हरियाणा में 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई थी। इसके बाद 2019 में उसे गठबंधन सरकार बनाने का मौका मिला और अब ऐंटी-इनकम्बैंसी बढ़ने का खतरा है। आम चुनाव में उसे राज्य की 10 में से 5 सीटें ही मिल पाईं। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में और ज्यादा चुनौती मिल सकती है। इसे देखते हुए भाजपा ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। हरियाणा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर देर रात तक दिल्ली में मीटिंग चली थी। इसके अलावा अब कैंडिडेट्स को लेकर भी मंथन तेज हो गया है। राज्य में भाजपा अकेले ही उतरने की तैयारी में है।
सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा कम से कम 25 पर्सेंट नए चेहरे उतार सकती है। यानी करीब 22 से 23 सीटों पर भाजपा उन चेहरों पर दांव लगाएगी, जो अब तक विधायक नहीं रहे हैं। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि इससे आधार को बढ़ाने में मदद मिलेगी और अब तक सक्रिय रहे नेताओं के खिलाफ ऐंटी-इनकम्बैंसी की भी काट की जा सकेगी। कई सीटों पर तो मंत्रियों को भी टिकट की रेस से बाहर किया जा सकता है। खबर है कि सभी मौजूदा विधायकों के अलावा मंत्रियों और उन नेताओं का भी रिपोर्ट कार्ड तैयार हो रहा है, जो टिकट की दावेदारी में जुटे हैं। खासतौर पर ऐसे लोगों पर ही फोकस है, जो जीत दिला पाएं।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने 2019 का चुनाव भी अकेले ही लड़ा था। तब 90 सीटों पर लड़ने वाले कैंडिडेट्स में से एक चौथाई को रिप्लेस किया जा सकता है। उनकी जगह पर सामाजिक समीकरणों को साधते हुए नए चेहरे दिए जा सकते हैं। खबर है कि खुद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली भी चुनाव में नहीं उतरेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि उन पर पूरे राज्य में प्रचार का जिम्मा रहेगा। वहीं कुछ मंत्रियों को नॉन-परफॉर्मर होने के चलते बाहर किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार बड़ौली ने भी 25 फीसदी नए चेहरे उतारने का फैसला लिया है।
फिलहाल भाजपा टिकटों पर फैसले के लिए सर्वे और फीडबैक पर निर्भर है। इसके आधार पर हर सीट पर तीन नेताओं के नाम तय होंगे और फिर उन पर मंथन के लिए केंद्रीय टीम के पास भेजा जाएगा। इस पर केंद्रीय चुनाव समिति में मंथन होगा और उसके बाद ही नाम पर मुहर लगेगी। अब तक मिली जानकारी के अनुसार भाजपा उन 46 सीटों पर चेहरे बदलेगी, जिन पर लोकसभा चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा। वहीं 44 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। इन सीटों पर भगवा दल का खास फोकस है कि किसी भी हाल में यहां पर नुकसान न होने पाए।