देव ने कहा, ‘‘ASI कक्ष का आकलन करने के लिए ‘लेजर स्कैन’ जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग कर सकता है
पुरी
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में एक गोपनीय सुरंग होने को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच, पुरी के राजा एवं गजपति महाराजा दिव्य सिंह देव ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जांच के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है।
देव ने रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में सुरंग या गुप्त कक्षों की संभावना के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही। कई स्थानीय लोगों का मानना है कि रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में एक गुप्त सुरंग है।
देव ने कहा, ‘‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कक्ष की स्थिति का आकलन करने के लिए ‘लेजर स्कैन’ जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग कर सकता है। ऐसी तकनीक का उपयोग कर सर्वेक्षण करने से सुरंगों जैसी किसी भी संरचना के बारे में जानकारी मिल सकती है।’’
वहीं, पर्यवेक्षण समिति के अध्यक्ष एवं उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ ने कहा, ‘‘हमारे निरीक्षण के दौरान हमें सुरंग जैसी किसी विशेष चीज का कोई साक्ष्य नहीं मिला।’’
उन्होंने अन्य 10 सदस्यों के साथ भीतरी कक्ष में सात घंटे से अधिक समय बिताया।
उन्होंने लोगों से सोशल मीडिया पर और मीडिया से इस बारे में गलत सूचना फैलाने से बचने का आग्रह किया।
समिति के एक अन्य सदस्य और सेवादार दुर्गा दासमहापात्रा ने कहा, ‘‘हमें रत्न भंडार में कोई गुप्त कक्ष या सुरंग नहीं दिखी। रत्न भंडार लगभग 20 फुट ऊंचा और 14 फुट लंबा है।’’
उन्होंने निरीक्षण के दौरान सामने आईं कुछ छोटी-मोटी समस्याओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘छत से कई छोटे पत्थर गिरे थे और रत्न भंडार की दीवार में दरार आ गई। सौभाग्य से, फर्श में उतनी नमी नहीं थी जितनी आशंका थी।’’