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ओलंपिक खेलों में भारत के छह पहलवान दमखम दिखाएंगे, पदक के लिए जोर लगाएंगे

नईदिल्ली

पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. पेरिस ओलंपिक 26 जुलाई से लेकर 11 अगस्त तक खेला जाना है. पेरिस में भारतीय पहलवानों पर भी पदक दिलाने की जिम्मेदारी रहेगी. देखा जाए तो भारत ने ओलंपिक में हॉकी (कुल 12 पदक) के बाद सर्वाधिक पदक कुश्ती में हासिल किए हैं. कुश्ती में अब तक भारत दो रजत और पांच कांस्य सहित कुल 7 पदक जीत चुका है. टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत को रेसलिंग में दो मेडल मिले थे. तब रवि कुमार दहिया ने सिल्वर और बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

अंतिम और अमन को मिली है वरीयता

इस बार में पेरिस ओलंपिक में भारत के छह पहलवान दमखम दिखाएंगे. इनमें से सभी अपने-अपने भारवर्ग में पदक के दावेदार हैं, लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे अंतिम पंघाल और अमन सेहरावत को पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. अंतिम पंघाल (महिला फ्रीस्टाइल 53 किग्रा) और अमन सेहरावत (पुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा) को 5 अगस्त से शुरू होने वाली ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता के लिए अपने-अपने भारवर्ग में चौथी और छठी वरीयता दी गई है. जिससे इन दोनों को शुरुआती मुकाबलों में कठिन प्रतिद्वंद्वियों से बचने में मदद मिलेगी.

इस वरीयता ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि अंतिम को मेडल राउंड से पहले जापान की शीर्ष दावेदार अकारी फुजिनामी और चीन की कियानयु पांग से मुकाबला नहीं करना पड़ेगा. फुजिनामी दो बार की वर्ल्ड चैम्पियन हैं, जबकि पांग ने टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक हासिल किया था. उधर मेडल राउंड शुरू होने से पहले अमन को जापान के री हिगुची या आर्मेनिया के आर्सेन हारुत्युन्यान से भिड़ना पड़ सकता है. अमन को हंगरी रैंकिंग सीरीज में हिगुची से हार का सामना करना पड़ा था. हिगुची रियो 2016 में सिल्वर जीत चुके हैं.

विनेश-अंशु-निशा-रीतिका से भी मेडल की आस

बाकी की चार भारतीय पहलवान- विनेश फोगाट (महिला  फ्रीस्टाइल 50 किग्रा), अंशु मलिक (महिला  फ्रीस्टाइल 57 किग्रा), निशा दहिया (महिला  फ्रीस्टाइल 68 किग्रा) और रीतिका हुड्डा (महिला  फ्रीस्टाइल 76 किग्रा) को कोई वरीयता नहीं दी गई है. इस तरह से भारत के एक पुरुष और पांच महिला पहलवान पेरिस ओलंपिक में अपनी चुनौती पेश करेंगे. ग्रीको रोमन में कोई भी भारतीय पहलवान पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाया था. टोक्यो ओलंपिक में भारत की ओर से सात पहलवानों ने चुनौती पेश की थी, जिसमें तीन पुरुष और चार महिला रेसलर्स शामिल थे.

कुश्ती में इस दिग्गज ने दिलाया था पहला मेडल

भारत ने पहली बार एंटवर्प ओलंपिक खेलों (1920) में दो पहलवानों को उतारा था. इसके बाद 1924, 1928, 1932 और 1976 के ओलंपिक खेल ही ऐसे रहे जिनमें भारत ने कुश्ती में हिस्सा नहीं लिया. पहलवान रणधीर सिंह 1920 में भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाने के बेहद करीब पहुंच गए थे, लेकिन आखिर में यह श्रेय खाशाबा दादासाहेब जाधव को मिला था. भारतीय कुश्ती के इतिहास में 23 जुलाई 1952 का दिन विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसी दिन जाधव ने हेलंसिकी ओलंपिक में बैंटमवेट में कांस्य पदक जीता था.

महाराष्ट्र के गोलेश्वर में 15 नवंबर 1926 को जन्मे जाधव ने पहले राउंड में कनाडा के एड्रियन पोलिक्विन पर 14 मिनट 25 सेकेंड तक चले मुकाबले में जीत दर्ज की और अगले राउंड में मैक्सिको के लियांड्रो बासुर्तो को केवल पांच मिनट 20 सेकेंड में धूल चटाई. वह जर्मनी के फर्डिनेंड श्मिज को 2-1 से हराकर फाइनल राउंड में पहुंचे थे. तब चोटी के तीन पहलवानों के बीच राउंड रॉबिन आधार पर मुकाबले होते थे. जाधव फाइनल राउंड में सोवियत संघ के राशिद मम्मादबेयोव और जापान के सोहाची इशी से हार गए थे.

56 साल बाद सुशील ने रचा इतिहास

इसके 56 साल बाद बीजिंग ओलंपिक 2008 में सुशील कुमार ने कुश्ती में भारत को पदक दिलाया. सुशील क्वालिफिकेशन राउंड में बाई मिलने के बाद अंतिम-16 में यूक्रेन के एंड्री स्टाडनिक से हार गए थे. भाग्य ने सुशील का साथ दिया और स्टाडनिक के फाइनल में पहुंचने से भारतीय पहलवान को रेपचेज में भिड़ने का मौका मिल गया. सुशील ने कुछ घंटों के अंदर तीन कुश्तियां जीतकर पदक अपने नाम किया था. सुशील ने रेपचेज के पहले राउंड में अमेरिका के डग श्वाब को, दूसरे राउंड में बेलारूस के अल्बर्ट बाटिरोव को और फाइनल राउंड में कजाखस्तान के लियोनिड स्पिरडोनोव को हराकर कांस्य पदक जीता था.

लंदन में सुशील और योगेश्वर ने जमाया रंग

सुशील कुमार ने इसके बाद लंदन ओलंपिक में रजत पदक तो योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक हासिल किया. सुशील ने क्वार्टर फाइनल में उज्बेकिस्तान के इख्तियोर नवरूजोव को 3-1 से हराकर पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में प्रवेश किया और फिर कजाखस्तान के अखजुरेक तनातारोव 6-3 से हराया. सुशील फाइनल में हालांकि जापान के तात्सुहिरो योनेमित्सु से 0-1, 1-3 से हार गए.

इससे एक दिन पहले योगेश्वर दत्त ने 60 किग्रा में कांस्य पदक जीता था. वह हालांकि रूस के बेसिक कुदखोव से हार गए. रूसी पहलवान फाइनल में पहुंच गया. योगेश्वर को रेपचेज का मौका मिला और उन्होंने प्यूर्टो रिको के फ्रैंकलिन गोमेज और ईरान के मसूद इस्माइलपुवर को हराने के बाद फाइनल राउंड में उत्तर कोरिया के रि जोंग म्योंग को पस्त करके कांस्य पदक जीता.

साक्षी ने भी भारत को दिलाई कामयाबी

रियो ओलंपिक 2016 में साक्षी मलिक भी महिलाओं के 58 किग्रा में क्वार्टर फाइनल में वेलारिया कोबलोवा से हार गईं. रूसी पहलवान फाइनल में पहुंच गईं और फिर साक्षी ने रेपचेज में ओरखोन पुरेवदोर्ज और कजाखस्तान की एसुलू तिनिवेकोवा को हराया और ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं.

फिर बजरंग-रवि ने किया कमाल

टोक्यो ओलंपिक 2020 में रवि कुमार दहिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक अपने नाम किया था. रवि ने सेमीफाइनल में कजाकिस्तान के नूरीस्लाम सनायेव को विक्ट्री बाई फॉल के जरिए पटखनी देकर सिल्वर मेडल पक्का किया. हालांकि 57 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में रवि दहिया को रूसी पहलवान जावुर युगुऐव के हाथों 4-7 से हार का सामना करना पड़ा था. फिर भारत के लिए बजरंग पुनिया ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीता. पूनिया ने कांस्य पदक के मैच में कजाकिस्तान के रेसलर दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से पराजित किया था.

कुश्ती में भारत के अब तक के पदकवीर

1. केडी जाधव

कांस्य पदक, हेलसिंकी ओलंपिक (1952)

2. सुशील कुमार

कांस्य पदक, बीजिंग ओलंपिक (2008)

रजत पदक: लंदन ओलंपिक (2012)

3. योगेश्वर दत्त

रेपचेज में चला हरियाणा के पहलवान का दांव

कांस्य पदक: लंदन ओलंपिक (2012)

4. साक्षी मलिक

कांस्य पदक: रियो ओलंपिक (2016)

5. रवि कुमार दहिया

रजत पदक: टोक्यो ओलंपिक  (2020)

6. बजरंग पूनिया

कांस्य पदक: टोक्यो ओलंपिक  (2020)

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