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Reliance Infrastructure का 1700 करोड़ का कर्ज उतारेगी एकनाथ सरकार!

मुंबई

महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मुंबई मेट्रो की सबसे पुरानी लाइन मेट्रो 1 को खरीदने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। लेकिन राज्य मंत्रिमंडल ने एमएमआरडीए (MMRDA) की कार्यकारी समिति को एकमुश्त निपटान के माध्यम से मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) के 1,700 करोड़ रुपये के कर्ज का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है। 11.4 किमी लंबा मेट्रो-1 कॉरिडोर वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर के बीच है। यह मुंबई मेट्रो का एकमात्र कॉरिडोर है जिसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए बनाया गया था। इसके लिए एक स्पेशल पर्पज वीकल MMOPL बनाई गई थी। इसमें एमएमआरडीए की 26% और अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) की 74% हिस्सेदारी है। इस कॉरिडोर में रोजाना 4.6 लाख यात्री सफर करते हैं। इस न्यूज से रिलायंस इन्फ्रा का शेयर करीब 10 फीसदी उछल गया। शेयर मार्केट में गिरावट के बावजूद कंपनी का शेयर बीएसई पर कारोबार के दौरान 206.65 रुपये तक पहुंचा।

MMOPL पर कुछ छह बैंकों का बकाया है। इनमें भारतीय स्टेट बैंक, आईडीबीआई बैंक, केनरा बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और आईआईएफसीएल (यूके) शामिल हैं। मार्च 2024 में कंपनी ने अपने ऋणदाताओं के साथ एक समझौता किया था जिसके तहत अपने पूरे ऋण का निपटान करने के लिए 1,700 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की गई। इस व्यवस्था के तहत, एमएमआरडीए और एमएमओपीएल ने ऋणदाताओं को 171 करोड़ रुपये का प्रारंभिक भुगतान किया। सूत्रों ने बताया कि अब 26 जून को कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एमएमआरडीए की कार्यकारी समिति से एकमुश्त निपटान के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कहा जाए।

कैबिनेट ने पलटा फैसला

उल्लेखनीय है कि 11 मार्च को राज्य मंत्रिमंडल ने मेट्रो-1 में रिलायंस इन्फ्रा की 74% हिस्सेदारी को एमएमआरडीए द्वारा 4,000 करोड़ रुपये में खरीदने को मंजूरी दे दी थी। लेकिन एमएमआरडीए ने कहा कि उसके पास इसके लिए पैसे नहीं हैं। उसने राज्य सरकार से फंड देने का अनुरोध किया लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया। राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में अपने खरीद निर्णय को उलट दिया था। अब एमएमआरडीए कमिश्नर इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एमएमओपीएल के सभी छह ऋणदाताओं के साथ एक बैठक आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। अप्रैल 2023 से जून 2024 तक एमएमओपीएल ने 225 करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज चुकाया है।

एमएमओपीएल को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दिवालियापन की कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा था। आईडीबीआई बैंक ने 133.37 करोड़ रुपये के बकाये पर अक्टूबर 2023 में दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की, जबकि एसबीआई ने 416 करोड़ रुपये की चूक के कारण अगस्त 2023 में कार्यवाही शुरू की। एमएमआरडीए ने 170 करोड़ रुपये यानी वन-टाइम सेटलमेंट की 10 फीसदी राशि का भुगतान किया था। उसके बाद एनसीएलटी ने दिवालियापन के मामलों का निपटारा कर दिया था। इस बारे में संपर्क करने पर एमएमओपीएल के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एमएमआरडीए के अधिकारी भी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि 2,356 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित मेट्रो लाइन 1 घाटे में नहीं है, लेकिन वित्तीय संकट में फंसा अनिल अंबानी ग्रुप इस प्रोजेक्ट से बाहर निकलना चाहता है। एमएमआरडीए और एमएमओपीएल के बीच 2007 में कनसेशन एग्रीमेंट पर साइन हुए थे। यह कॉरिडोर 2014 में ऑपरेशनल हुआ था। इसकी लागत को लेकर भी एमएमओपीएल और एमएमआरडीए के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है। एमएमओपीएल का दावा है कि इस कॉरिडोर को बनाने में 4,026 करोड़ रुपये का खर्च आया था जबकि एमएमआरडीए का कहना है कि इसकी मूल लागत 2,356 करोड़ रुपये थी।

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