फ्रांस में संसदीय चुनावों में धुर-दक्षिणपंथी और मुस्लिम विरोधी पार्टी नेशनल रैली की जीत का अनुमान
पेरिस
फ्रांस के संसदीय चुनाव के पहले दौर में रविवार को भारी मतदान के बाद अनुमान जताया गया है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार देश की बागडोर धुर-दक्षिणपंथी ताकतों के हाथ में जा सकती है। एग्जिट पोल के अनुसार, फ्रांस की दक्षिणपंथी नेशनल रैली (RN) पार्टी ने संसदीय चुनावों के पहले दौर में भारी बढ़त हासिल की है। इस बीच नेशनल रैली को सत्ता से दूर रखने के लिए प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के बीच बातचीत शुरू हो गई है, जबकि फ्रांस के प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे हैं। दक्षिणपंथी नेशनल रैली के विरोध में फ्रांस की फेमिनिस्टों ने एफिल टॉवर के सामने टॉपलेस होकर प्रदर्शन किया है।
एग्जिट पोल में ले पेन की पार्टी आगे
एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों आईएफओपी, इप्सोस, ओपिनियनवे और एलाबे ने अनुमान लगाया है कि मरीन ले पेन की नेशनल रैली 34 फीसदी वोट के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है। वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट (NFP) को लगभग 29 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मध्यमार्गी एनसेंबल एलायंस तीसरे नंबर पर है और उसे लगभग 20.3 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है।
मुस्लिम विरोधी मानी जाती है नेशनल रैली
पिछले महीने हुए यूरोपीय संसद के चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टियों को बड़ी सफलता मिली थी। इसमें फ्रांस की नेशनल रैली भी शामिल थी। नेशनल रैली से मिली करारी शिकस्त के बाद मैक्रों ने फ्रांस में मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी। ‘नेशनल रैली’ का नस्लवाद और यहूदी-विरोधी भावना से पुराना संबंध है और यह फ्रांस के मुस्लिम समुदाय की विरोधी मानी जाती है। मरीन ले पेन की ‘नेशनल रैली’ पार्टी ने आव्रजन विरोधी असंतोष को चुनाव में भुनाया है और सोशल मीडिया के मंचों के माध्यम से इसे हवा दी है।
यूरोप में सबसे उदार देशों में गिने जाने फ्रांस में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही दक्षिणपंथी पार्टियां कभी सत्ता में नहीं आई हैं। नेशनल रैली के बढ़ते उभार ने फ्रांस से उदारवादी समाज को चिंता में डाल दिया है। वहीं, एग्जिट पोल के रुझानों के बाद उत्तरी फ्रांस में नेशनल रैली नेता मरीन ले पेन के निर्वाचन क्षेत्र में समर्थकों ने फ्रांसीसी झंडे लहराए और फ्रांस का राष्ट्रीय गीत गाया। ले पेन के शिष्य और नेशनल रैली के अध्यक्ष जॉर्डन बार्डेला ने बताया कि चुनाव का दूसरा दौर फ्रांसीसी गणराज्य के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण होगा। दो चरणों में होने वाला फ्रांस का संसदीय चुनाव 7 जुलाई को सम्पन्न होगा।