इंदौर लिवर प्रत्यारोपण नाबालिग बेटी ने कानूनी लड़ाई जीतकर पिता को लिवर डोनेट किया
इंदौर
इंदौर में हाईकोर्ट की परमिशन मिलने के बाद पिता को नाबालिग बेटी का लिवर ट्रांसप्लांट कर दिया गया है। सफल सर्जरी के बाद दोनों को आईसीयू में रखा गया है। यहां उनके ऑब्जर्वेशन को लेकर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अलर्ट मोड पर हैं।
प्राइवेट अस्पताल में डॉ. अमित बरफा की टीम ने गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे ट्रांसप्लांट प्रोसेस शुरू की। सर्जरी रात 2 बजे तक चली। इसके बाद डॉ. बरफा ने कहा, 'पिता और बेटी दोनों ही स्वस्थ हैं। ट्रांसप्लांट के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आई। एक हफ्ते के ऑब्जर्वेशन के बाद उन्हें प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर सकते हैं।'बता दें कि पिता को लिवर डोनेट करने वाली बेटी मध्यप्रदेश की पहली नाबालिग डोनर है।
डॉक्टरों ने कानूनी पेंच बताया तो बेटी ने हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका
इंदौर के शिवनारायण बाथम (42) का लिवर फेल हो गया है। उनकी कंडिशन क्रिटिकल है। डोनर नहीं मिलने पर नाबालिग बेटी प्रीति ने कहा था कि वह पिता को लिवर देना चाहती है। उसकी उम्र 18 साल से दो महीने कम होने के चलते डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट में कानूनी अड़चन बता दी थी।
इस पर नाबालिग ने 13 जून को हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर की थी। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने गुरुवार को लिवर डोनेट करने की मंजूरी दे दी।
दो हॉस्पिटल और कमिश्नर की रिपोर्ट्स को बनाया फैसले का आधार
हाईकोर्ट में प्रीति का पक्ष रखने वाले एडवोकेट निलेश मनोरे ने बताया, 'गुरुवार को ग्वालियर बेंच के जस्टिस विशाल मिश्रा ने इंदौर बेंच में वर्चुअल सुनवाई की। कोर्ट ने एमवाय हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन और भोपाल कमिश्नर की रिपोर्ट्स को लिवर ट्रांसप्लांट करने की परमिशन देने का आधार बनाया। मेडिकल चेकअप में प्रीति इसके लिए फिट भी पाई गई है।'