मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, दिल्ली आदि राज्यों में हार की पड़ताल की शुरू
भोपाल
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन वाले राज्यों को लेकर कांग्रेस आलाकमान एक्शन मोड में आ चुका है. यह एक्शन अब नजर भी आने लग गया है. यही कारण है कि कांग्रेस द्वारा कमेटी बना दी गई है. मध्य प्रदेश को लेकर भी कमेटी बनाई गई है. इस कमेटी में तीन लोगों को रखा गया है. जिनमें दो प्रमुख नाम हैं. आपको बता रहा हूं महाराष्ट्र से आने वाले पृथ्वीराज चौहान साथ ही सात गुजरात से आने वाले जिग्नेश मेवानी इसके अलावा सपतागिरी उल्का को इस कमेटी में रखा गया है. ये कमेटी मध्य प्रदेश में कांग्रेस करारी हार की वजहों का पता लगाएगी.
आपको बता दें की मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए माना जा रहा था कि आला कमान मध्य प्रदेश की हार को लेकर कुछ एक्शन ले सकता है. अब ठीक वैसा नजर आ रहा है. कई और राज्यों के लिए भी कमेटी बनाई गई है. लेकिन, मध्य प्रदेश के लिए आला कमान का यह संकेत है. जीतू पटवारी पद पर रहेंगे या जाएंगे? यह सोचने वाली बात होगी. वो इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश में 29 में से एक सीट भी कांग्रेस हासिल नहीं कर पाई है.
जीतू पटवारी बचा पाएंगे अपना पद?
आपको बता दें मध्य प्रदेश में कांग्रेस को इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा उम्मीद नजर आ रही थी. लेकिन, यहां चुनाव के पहले कई कांग्रेसियों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. जिसका असर चुनाव में भी देखने को मिला है. यहां कांग्रेस कोई खाता तक नहीं खोल पाई है. अब यही वजह है कि आला कमान कमेटी बनाकर यह संदेश दे रहा है कि अगर कमेटी की रिपोर्ट में प्रदेश अध्यक्ष का काम ठीक नहीं निकला तो क्या आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष यानि की जीतू पटवारी को हटाया? क्योंकि उसके संकेत भी मिल रहे हैं. कि जिन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है. लोकसभा चुनाव में वहां पर आला कमान बदलाव के मूड में है. माना जा रहा है कि और सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट के आधार पर ही आगे फैसला लिया जाएगा.
क्या बदलाव के मूड में है आलाकमान?
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को राहुल गांधी का बेहद नजदीकी माना जाता है. लेकिन, अब आला कमान ने कमेटी बना दी और कमेटी का जो उद्देश्य है. हार की समीक्षा में जाहिर सी बात है. जीतू पटवारी पहले ही कह चुके थे. हार के बाद के नैतिक तौर पर उनकी जिम्मेदारी है. लेकिन, सवाल यही उठेगा कि अंतर्विरोध से जूझ रहे जीतू पटवारी के सामने अब यह कमेटी भी जब अपनी रिपोर्ट देगी तो क्या उसके बाद आला कमान जीतू पटवारी को आगे तक जारी रखेगा का अध्यक्ष के तौर पर या बदलाव भी कर सकता है?
लोकसभा चुनाव में देश के कई राज्यों में कांग्रेस को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है। दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश आदि राज्य तो ऐसे हैं, जहां कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका।
यही कारण है कि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक व तेलंगाना जैसे राज्यों में मिली हार का कारण ढूंढना शुरू कर दिया है। इन राज्यों में मिली हार के कारण ढूंढने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अलग-अलग फैक्ट फाइंडिंग कमेटियों का गठन किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कुल 6 फैक्ट फाइंडिंग कमेटियों के गठन को मंजूरी दी है। ये सभी कमेटियां इन राज्यों में हार के कारणों का पता लगाएंगी। इस प्रक्रिया में स्थानीय कांग्रेस नेताओं से भी उनकी राय ली जाएगी। सभी से बात करने के उपरांत हार के कारणों की रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपी जाएगी।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी यहां लोकसभा की सभी 29 सीटों पर चुनाव हार गई। यहां हार के कारण जानने के लिए तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चौहान, सप्तगिरि उलका और जगदीश मेवानी शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में मिली हार के कारणों का पता लगाने के लिए वीरप्पा मोइली और हरीश चौधरी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ओडिशा में भी कांग्रेस चुनाव बुरी तरह हार गई। यहां हार के कारणों का पता लगाने की जिम्मेदारी अजय माकन और तारिक अनवर को सौंपी गई है। तीन और राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया। इनमें दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। इन तीनों राज्यों के लिए भी एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया और रजनी पाटिल शामिल हैं।
कांग्रेस के नेता इन राज्यों में हार के कारणों का पता लगाकर आलाकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे। कर्नाटक में भी कांग्रेस पार्टी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिल पाए, यही कारण है कि यहां हुई हार के लिए भी तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में मधुसूदन मिस्त्री, गौरव गोगोई और हीबी ईडन शामिल हैं।
वहीं, तेलंगाना में पीजे कुरियन, रकिबुल हुसैन और प्रगट सिंह की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी उम्मीद के मुताबिक नतीजे न मिलने के कारणों का पता लगाएगी।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल 99 सीटें ही मिल सकी थी। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के इंडिया गठबंधन को कुल 234 सीटें मिली हैं। चुनाव नतीजों से पहले कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन को 295 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप बनाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी है। कांग्रेस अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारी में भी जुट जाना चाहती है। यही कारण है कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने प्रत्येक विधानसभावार प्रभारी नियुक्त करने का सुझाव दिया है।