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अडाणी समूह ऊर्जा बदलाव परियोजनाओं में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा- अडाणी

ऊर्जा बदलाव में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा अडाणी समूह : गौतम अडाणी

अडाणी समूह ऊर्जा बदलाव परियोजनाओं में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा- अडाणी

ऊर्जा बदलाव सूचकांक में भारत 63वें स्थान पर, स्वीडन सबसे आगे : डब्ल्यूईएफ

नई दिल्ली
 अडाणी समूह ऊर्जा बदलाव परियोजनाओं और विनिर्माण क्षमता में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करेगा। समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने यह जानकारी दी। समूह का मकसद हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी सभी प्रमुख कलपुर्जों का विनिर्माण करना है।

सूर्य की रोशनी से बिजली का उत्पादन करने के लिए सौर पार्क और पवन फार्म बनाने के अलावा समूह हरित हाइड्रोजन, पवन ऊर्जा टर्बाइन और सौर पैनल बनाने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित कर रहा है। हरित हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइजर की मदद से पानी से हाइड्रोजन को विभाजित करके बनाया जाता है। इसे उद्योग के साथ-साथ परिवहन क्षेत्र को कॉर्बन-मुक्त करने के लिए एक संभावित उपाय के रूप में देखा जा रहा है।

क्रिसिल द्वारा आयोजित ‘‘बुनियादी ढांचा-भारत के भविष्य के लिए उत्प्रेरक’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अडाणी ने कहा कि ऊर्जा बदलाव और डिजिटल बुनियादी ढांचा अरबों डॉलर के अवसर हैं जो भारत को स्थानीय और वैश्विक स्तर पर बदल देंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘अगले दशक में हम ऊर्जा बदलाव के क्षेत्र में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे और अपनी एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला का और विस्तार करेंगे। हमारी मूल्य श्रृंखला में पहले से प्रत्येक प्रमुख कलपुर्जें का विनिर्माण शामिल है। कोयले-से-बंदरगाह क्षेत्र में कार्यरत समूह ‘दुनिया का सबसे कम महंगे हरित इलेक्ट्रॉन’ का उत्पादन करना चाहता है जो कई क्षेत्रों के लिए ‘फीडस्टॉक’ का काम करेगा।

अडाणी ने कहा, ‘‘और ऐसा करने के लिए हम पहले से ही कच्छ जिले (गुजरात में) के खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा एकल-स्थल नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बना रहे हैं। केवल इस एकल स्थान से 30 गीगावाट बिजली पैदा होगी, जिससे हमारी कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2030 तक 50 गीगावाट पर पहुंच जाएगी।’’

अडाणी ने कहा कि ऊर्जा बदलाव का क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को हमेशा के लिए मौलिक रूप से बदल देगा। उन्होंने कहा कि 2023 में वैश्विक ऊर्जा बदलाव बाजार का मूल्य लगभग 3,000 अरब डॉलर था, जिसके बढ़कर 2030 तक 6,000 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। उसके बाद 2050 तक यह हर 10 साल में दोगुना हो जाएगा।

ऊर्जा बदलाव सूचकांक में भारत 63वें स्थान पर, स्वीडन सबसे आगे : डब्ल्यूईएफ

 विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा जारी वैश्विक ऊर्जा बदलाव सूचकांक में भारत दुनिया में 63वें स्थान पर है। डब्ल्यूईएफ ने कहा है कि भारत ने ऊर्जा समानता, सुरक्षा और स्थिरता के मामले में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है।

इस सूचकांक में यूरोपीय देशों का दबदबा है। स्वीडन सूचकांक में शीर्ष पर है। इसके बाद डेनमार्क, फिनलैंड, स्विटजरलैंड और फ्रांस शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं। चीन का स्थान 20वां है।

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि भारत और कुछ अन्य विकासशील देशों मसलन चीन तथा ब्राजील द्वारा दिखाया गया सुधार महत्वपूर्ण है, क्योंकि 83 प्रतिशत देश तीन ऊर्जा प्रणाली प्रदर्शन आयाम – सुरक्षा, समानता और स्थिरता – में से कम-से-कम एक में पिछले साल की तुलना में पिछड़ गए हैं।

भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए डब्ल्यूईएफ ने कहा कि देश ऐसे नतीजे देने में अग्रणी रहा है जिन्हें अन्य स्थानों पर दोहराया जा सकता है।

इसमें कहा गया है कि सरकारें जागरूकता पैदा करने और नीतिगत हस्तक्षेप पर भी विचार कर सकती हैं। इसमें ऊर्जा-दक्ष निर्मित बुनियादी ढांचे के लिए दिशानिर्देश और रेट्रोफिटिंग के लिए प्रोत्साहन शामिल है।

इसमें कहा गया, ‘‘विकासशील दुनिया के पास नियमों को फिर से लिखने और ऊर्जा मांग को सफलतापूर्वक बदलने का रास्ता दिखाने का अवसर है।’

चीन और भारत की भूमिका पर डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वैश्विक आबादी की लगभग एक-तिहाई के साथ ये दोनों देश आगे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि दोनों ही देशों ने नवीकरणनीय ऊर्जा उत्पादन, ऊर्जा पहुंच में सुधार और ऊर्जा सुरक्षा के मामले में प्रगति की है। इसके अलावा ये देश हरित प्रौद्योगिकी विनिर्माण के लिए भी मजबूत स्थिति में हैं।

 

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