डिलीवरी वाहनों में प्रगति के कारण भारत की परमाणु तिकड़ी को मजबूती मिली
नई दिल्ली
भारत अगले कुछ महीनों में अपनी दूसरी SSBN (परमाणु-चालित बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस परमाणु-चालित पनडुब्बियों के लिए नौसेना की भाषा) INS अरिघात को चालू करके न्यूक्लियर ट्रायड के अपने सबसे कमजोर हिस्से को मजबूत करने की तैयारी में है। पहला INS अरिहंत 2018 में चालू हुआ था। इसके बाद नवंबर 2022 में एस-4 का प्रक्षेपण सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। आईएनएस अरिहंत और अरिघात के बाद यह भारत की तीसरी स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) रही।
हाल के वर्षों में डिलीवरी वाहनों में प्रगति के कारण भारत की परमाणु तिकड़ी को मजबूती मिली है। भारतीय वैज्ञानिकों की तरफ से अग्नि-V पर काम शुरू करने के एक दशक से भी अधिक समय बाद, मिसाइल परीक्षण की प्रक्रिया से गुजरकर मैच्योर हो गई है। 15 दिसंबर 2022 को, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का नौवां परीक्षण किया था।
न्यूक्लियर ट्रायड क्या है?
न्यूक्लियर ट्रायड, एक तीन पक्षीय मिलिट्री फोर्स स्ट्रक्चर है। इसमें धरती से प्रक्षेपित परमाणु मिसाइलें, परमाणु मिसाइल से लैस पनडुब्बियां, और परमाणु बम और मिसाइलों से लैस सामरिक विमान शामिल हैं। दुनिया में केवल चार देशों के पास न्यूक्लियर ट्रायड है। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, भारत और चीन शामिल हैं। पाकिस्तान एक आंशिक परमाणु ट्रायड है। इजरायल के पास परमाणु ट्रायड होने का संदेह है, लेकिन इसकी स्थिति की पुष्टि नहीं हुई है।
सिपरी की चीन पर रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता
दूसरी तरफ स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की चीन पर रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार चीन विश्व में किसी भी अन्य देश की तुलना में अपने न्यूक्लियर हथियार के भंडार को तेजी से बढ़ा रहा है। चीन के पास अब भारत की तुलना में तीन गुना अधिक परमाणु हथियार हैं। इसके अलावा उसने कुछ बैलिस्टिक मिसाइलों पर "हाई ऑपरेशन अलर्ट" भी तैनात किया है। वहीं, पाकिस्तान परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में भारत के बराबर ही बना हुआ है। वहीं, रूस और अमेरिका अन्य देशों से काफी आगे हैं। इन दोनों देशों के पास कुल परमाणु हथियारों का 90% हिस्सा है।