दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का चुनाव एक महीने से ज्यादा चला, पाकिस्तानी सांसद ने सवाल किया कि आखिर हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते
इस्लामाबाद
भारत में चुनावों के बाद नई सरकार का गठन हो गया है। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता में आए हैं। भारत में सात चरणों में चुनाव हुए और इसमें किसी भी तरह की धांधली का आरोप नहीं लगा है, जो पाकिस्तान के लिए हैरानी वाली बात है। पाकिस्तान की संसद में भी इससे जुड़ा मुद्दा उठाया गया है। पाकिस्तान के चुनावों में लगातार धांधली के आरोप लगे हैं, जिसे लेकर एक सांसद ने भारत के चुनावों की तारीफ की। उसने पाकिस्तान की चुनावी व्यवस्था को लताड़ लगाते हुए कहा कि भारत में एक महीने का इलेक्शन हो गया। लेकिन हम सिर्फ लड़ते रहते हैं। चुनावों के रिजल्ट नहीं मानते।
पाकिस्तान में विपक्षी सांसद शिबली फराज ने भारतीय चुनावों की प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ईवीएम के जरिए एक साथ लंबे चुनाव आयोजित किए गए। उन्होंने इस बात की भी तारीफ की कि किसी भी धोखाधड़ी के आरोपों के बिना नई सरकार बनी। साथ ही सवाल किया कि आखिर पाकिस्तान ऐसा क्यों नहीं कर सकता? उन्होंने कहा कि सही से चुनाव न हो पाने के कारण हमारा पॉलिटिकल सिस्टम खोखला हो गया है।
पाकिस्तान के चुनावों पर उठे सवाल
पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव हुए थे। लेकिन इससे पहले ही यह साफ हो गया था कि सत्ता में किसकी सरकार आएगी। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की लहर पूरे पाकिस्तान में थी। लेकिन इमरान खान को सेना पसंद नहीं करती। सेना चाहती थी कि नवाज शरीफ फिर सत्ता में आएं। चुनावों में इमरान खान की पार्टी को प्रत्याशी उतारने से प्रतिबंधित कर दिया गया। वहीं जब रिजल्ट आए तो इसमें धांधली के आरोप लगे। आरोप लगे कि इमरान के समर्थक निर्दलीय उम्मीदवारों को जबरन हरा दिया गया।
पाकिस्तान के चुनावों में धांधली के आरोप
पाकिस्तान में हुए 'कथित चुनाव' ने पूरे देश की भद्द पिटाई थी। अमेरिकी कांग्रेस के 31 सांसदों ने राष्ट्रपति बाइडेन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को एक पत्र भेजा था। इस पत्र में चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों की जांच होने तक पाकिस्तान की नई सरकार को मान्यता न देने का आग्रह किया गया था। क्योंकि पाकिस्तान में चुनाव शांतिपूर्ण नहीं हुआ। 8 फरवरी के दिन मोबाइल सेवाओं को अवरुद्ध कर दिया गया था। कई इलाकों में हिंसा भी देखी गई थी। चुनावों के नतीजे जारी करने में भी देरी हुई, जिससे धांधली का शक बढ़ा है।