अंतर्राष्ट्रीय

क्यूबा में पहुंचा रूसी युद्धक जहाजों का बेड़ा, परमाणु पनडुब्बी कजान भी शामिल

हवाना
 छह दशक से भी ज्याद समय बीत चुका है जब अमेरिका और तत्कालीन सोवियत यूनियन इतिहास में परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़े थे। दुनिया उस घटना को क्यूबा संकट के नाम से जानती है। आज जब रूस की परमाणु पनडुब्बी कजान अमेरिका के दरवाजे पर मौजूद क्यूबा में पहुंची तो दुनिया को एक बार फिर से उस संकट की याद दिला दी है। रूस के युद्धक जहाज फ्रिगेट एडमिरल गोर्शकोव के नेतृत्व में रूसी युद्धक जहाजों का बेड़ा युद्धाभ्यास के लिए क्यूबा के बंदरगाह पर पहुंचा है, जो यहां 5 दिनों तक रहेगा। इसमें रूस की परमाणु पनडुब्बी कजान भी शामिल है।

रूसी टेलीग्राम चैनलों ने दावा किया है कि रूसी परमाणु पनडुब्बी कजान गाइडेड मिसाइल से लैस है। बेड़े की अगुवाई कर रहे एडमिरल गोर्शकोव को रूस के सबसे आधनिक युद्धपोत में गिना जाता है। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, गोर्शकोव कैलिबर मिसाइल के साथ ही नवीनतन हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकान से भी लैस है। कजान और गोर्शकोव के अलावा रूसी बेड़े में फ्लीट ऑयल टैंकर पाशिन और टग निकोले चिकर भी शामिल है।

परमाणु हथियारों की मौजूदगी से इनकार

हालांकि, क्यूबा के अधिकारियों ने ये साफ किय है परमाणु पनडुब्बी कजान समेत बेड़े के जहाज पर परमाणु हथियार नहीं हैं। क्यूबा के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 'किसी भी जहाज पर परमाणु हथियार नहीं है, इसलिए इनके देश में रुकने से क्षेत्र को कोई खतरा नहीं है।' इन दावों के बावजूद रूसी जहाजों का अमेरिकी जलक्षेत्र से महज कुछ किमी की दूरी से गुजरना महत्वपूर्ण है। खासतौर पर जब पुतिन ने धमकी दी है कि वे अपने शक्तिशाली हथियारों को उन देशों और क्षेत्रों में तैनात करेंगे जहां से पश्चिमी देशों को निशाना बनाया जा सके।

क्या है क्यूबा मिसाइल संकट?

क्यूबा मिसाइल संकट शीत यु्द्ध के दौरान अमेरिका और तत्कालीन सोवियत यूनियन के बीच एक बड़ा टकराव था, जिसने दुनिया को परमाणु युद्ध के कगार पर खड़ा कर दिया था। यह संकट 1962 में शुरू हुआ था, जो एक महीने से ज्यादा समय तक चला था। तब सोवियत संघ ने इटली और तुर्की में अमेरिकी मिसाइल की तैनाती के जवाब में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल क्यूबा में तैनात कर दी थी। इसने अमेरिका के ऊपर बड़ा खतरा ला दिया था। अगर इन मिसाइलों को क्यूबा से लॉन्च किया जाता तो कुछ ही मिनटों में अमेरिका के अधिकांश हिस्से को निशाना बना सकती थीं। दिलचस्प बात ये है कि आज जिस यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस और अमेरिका टकराव के रास्ते पर हैं, वह उस समय सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था।

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