मध्‍यप्रदेश

दूषित कान्हा को सिंहस्थ 2028 से पहले किया जाएगा शहर से बाहर, 480 करोड़ की परियोजना

उज्जैन

2028 के सिंहस्थ महाकुंभ में क्षिप्रा को शुद्ध-स्वच्छ बनाए रखने के लिए मप्र सरकार ने मेगा प्लान बनाया है। इसके लिए उज्जैन शहर के बाहर दूषित कान्ह नदी के पानी को बैराज बनाकर 28.5 किमी अंडरग्राउंड टनल (डक्ट) में डाला जाएगा। पानी इस डक्ट से होता हुआ सीधा

अंडरग्राउंड क्लोज्ड आरसीसी डक्ट की लागत 480 करोड़ होगी। इसकी क्षमता 40 क़्यूमेक्स यानी 40,000 लीटर/ घंटा होगी। 4.5 मी ऊंची डक्ट जमीन से लगभग 13 मीटर अंदर होगी। परियोजना लोकसभा की आदर्श चुनाव आचार संहिता लगने से पहले मंजूर हो चुकी है। इसे 42 महीने में पूरा करने का टारगेट है।

उज्जैन सीमा पर जमालपुरा गांव में बैराज बनाकर कान्ह का पानी इस डक्ट में डायवर्ट कर दिया जाएगा। इसकी सफाई के लिए 4 एंट्री पॉइंट भी बनाए जाएंगे। शुरू में लगभग 7.5 किमी का कट एंड कवर संरचना होगी यानी गहराई से खुदाई करके मिट्टी से ढंका जाएगा। इसके बाद टनल शुरू हो जाएगी।

42 महीने में पूरी करनी है योजना
भोपाल से प्रकाशित अखबार दैनिक भास्कर के मुताबिक, सरकार इस टनल को 42 महीने में पूरा करना चाहती है. इस योजना के मुताबिक, उज्जैन सीमा पर जमालपुरा गांव में बैराज बनाकर कान्ह नदी का पानी इस अंडरग्राउंड टनल में भेजा जाएगा. बता दें, वर्तमान में इंदौर से आने वाले कान्ह नदी के दूषित पानी को मिट्टी का बांध बनाकर रोका जाता है. इसके बाद बांध का एक हिस्सा तोड़कर इसे क्षिप्रा नदी से बहा दिया जाता है. फिर, इस दूषित पानी को हटाने के लिए नर्मदा नदी का पानी प्रेशर से छोड़ा जाता है. क्षिप्रा में जब भी कोई पवित्र स्नान होता है उस दिन नर्मदा नदी का जल छोड़ा जाता है. इस पानी को चैक डैम से स्नान होने तक रोक लिया जाता है. उसके बाद फिर मिट्टी के बांध को तोड़कर पानी निकाल दिया जाता है.

480 करोड़ की लागत का प्रोजेक्ट

अंडरग्राउंड टनल के जरिए कान्हा का पानी उज्जैन से बाहर निकालने का प्रोजेक्ट 480 करोड़ का है। इसे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले मंजूर कर लिया गया था। प्रोजेक्ट को 42 महीनों में पूरा करने का टारगेट है। कान्हा नदी को स्वच्छ करने वाले डक्ट्स की पानी जमा करने की क्षमता 40,000 लीटर प्रति घंटा होगी। यह डक्ट जमीन से 13 मीटर अंदर होंगे। इस परियोजना के जरिए क्षिप्रा की सफाई का कार्य पूरा होगा।

14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान

उज्जैन में महाकुंभ का आयोजन 2028 में है। यह आयोजन 12 साल में एक बार होता है। 2028 महाकुंभ में 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसकी तैयारी के लिए वर्तमान में 18,840 करोड़ रुपए की 523 परियोजनाएं प्रस्तावित है। इसमें क्षिप्रा नदी की सफाई प्राथमिकता है। इसके अलावा उज्जैन शहर में बुनियादी सुविधाएं, श्रद्धालुओं के रुकने का इंतजाम, सड़कों का ट्रैफिक जैसे कई इंतजामों पर कार्य किया जा रहा है। सीएम मोहन यादव स्वयं पूरे काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उज्जैन महाकुंभ भक्त गणोंं के लिए तैयार किया जा रहा है।

स्टाप डैम भी बनेंगे : इंदौर और आसपास के क्षेत्र की 2052 तक की सीवेज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस डक्ट का निर्माण किया गया है। अगर कभी कान्ह में पानी का दबाव अचानक बढ़ता है तो इसे नियंत्रित करने के लिए कान्ह में 33 करोड़ की लागत से 11 बैराज बनाए जाएंगे। ऑक्सीडेशन तकनीक से इस पानी को भी शुद्ध करने की योजना है। कई जगह बैराज -स्टॉप डैम बनेंगे।

सीवेज ट्रीटमेंट के भरोसे नहीं होगा सिंहस्थ: हाल ही में हुई सिंहस्थ समीक्षा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग से नाराजगी जताई थी कि पिछले दो महाकुंभों में सीवेज ट्रीटमेंट के भरोसे क्षिप्रा की शुद्धता नहीं की जा सकी। उन्होंने कहा था कि डायवर्सन योजना से स्थाई समाधान ढूंढा जाएगा।

पाइपलाइन परंतु सफाई का नहीं था प्रावधान
2016 में आयोजित हुए सिंहस्थ के पहले गोठरा डैम से कालियादेह पैलेस के बीच लगभग 17 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाकर कान्ह के दूषित जल को शहर से बाहर करने का प्रयास हुआ था। इस स्ट्रक्चर में सफाई की व्यवस्था न होने से एक समय के बाद गाद जमना शुरू हो गई और बाद में पाइप लाइन 50% से भी कम क्षमता पर आ गई। पाइप लाइन धंसने से दूषित जल जमीन में भी जाने लगा था।

हमारी सरकार और मुख्यमंत्री का प्रयास है कि 2028 का सिंहस्थ महाकुंभ श्रद्धालुओं के लिए यादगार अनुभव रहे। शिप्रा को प्रवाहमान -शुद्ध बनाने के लिए मप्र सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। अंडरग्राउंड डक्ट योजना भी इसी संकल्प का हिस्सा है।
तुलसी सिलावट, जल संसाधन मंत्री

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