हेमकुंड साहिब और लोकपाल मंदिर के कपाट शनिवार को आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गये
गोपेश्वर
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब और लोकपाल मंदिर के कपाट शनिवार को आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गये। इस अवसर सैकड़ों की तादाद में पहुंचे श्रद्धालुओं ने हेमकुंड साहिब में मत्था टेका।
शनिवार को हेमकुंड साहिब के कपाट साढे़ नौ बजे अरदास, शबद कीर्तन एवं गुरुवाणी के साथ सुरक्षा व्यवस्था के बीच आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गये हैं। इसके साथ ही हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू हो गई है। शुक्रवार को गोविन्दघाट गुरुद्वारा से पंच प्यारों की अगुवाई में सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच बैंड बाजों की धुन और पवित्र निशान के साथ श्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुआ था। जत्थे ने रात्रि विश्राम घांघरिया गुरुद्वारा में किया।
शनिवार की सुबह यह जत्था हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुआ। बोले सो निहाल, सत श्री अकाल के जयकारों के साथ साढे़ नौ बजे श्री हेमकुंड साहिब के कपाट और हिंदुओं की आस्था के प्रतीक लोकपाल (लक्ष्मण मंदिर) के कपाट विधि विधान के साथ आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये। हेमकुंड साहिब की यात्रा मई-जून में प्रारम्भ होकर अक्टूबर तक चलती है। इस यात्रा में आने वाले सभी यात्री ऑनलाइन और ऑफलाइन अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और ये सभी के लिए अनिवार्य होगा। हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए सुरक्षा के दृष्टिगत प्रतिदिन 3,500 श्रद्धालुओं को ही हेमकुंड भेजने की सीमा निर्धारित की गयी है। जनपद पुलिस की ओर से श्री हेमकुंड साहिब आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। साथ ही हेमकुंड साहिब मार्ग के मुख्य पड़ावों पर एसडीआरएफ तैनात की गई है।
उत्तराखंड में 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं का हर दिन धाम में आने का सिलसिला जारी है। वहीं इस बीच शनिवार को पूरे विधि विधान के साथ पंच प्यारों की मौजूदगी में पवित्र निशान के साथ सिखों के सबसे पवित्र धर्म स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।
पुलिस की कड़ी सुरक्षा और सिख रेजिमेंट बैंड की धुन के साथ और लगभग 2000 श्रद्धालुओं के साथ "जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल" के जयकारों के बीच शनिवार सुबह हेमकुंड साहिब के कपाट सभी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इसी के साथ ही श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू हो गई है।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पहले ही यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए धाम में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तय कर दी है ताकि धाम में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को कोई समस्या न हो। इसके तहत हर दिन हेमकुंड साहिब के लिए सिर्फ 3500 श्रद्धालुओं को ही धाम में भेजा जायेगा।
इससे पहले शुक्रवार को गोविंद घाट स्थित गुरुद्वारे से पंच प्यारे पवित्र निशान को अपने साथ लेकर करीब 2000 श्रद्धालुओं के पहले जत्थे और बैंड बाजों की धुन के साथ हेमकुंड साहिब धाम के लिए रवाना हुए थे जो शनिवार सुबह धाम पहुंचे। उसके बाद सुबह मुहूर्त में पूरे विधि विधान के साथ कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए।
हेमकुंड साहिब की यात्रा को श्रद्धालुओं के लिए सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए प्रदेश सरकार और प्रशासन ने धाम के रास्ते पर जगह जगह खाने के स्टॉल, पीने के पानी की व्यवस्था, बिजली और डॉक्टरों की व्यवस्था की है ताकि धाम में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। हेमकुंड साहिब की 18 किलोमीटर की बेहद कठिन पैदल चढ़ाई है। यहां अभी तक मार्ग में बर्फ जमी हुई है। वहीं यात्रा शुरू होने से पहले सेना के जवानों ने यहां से बर्फ हटा कर धाम के लिए मार्ग तैयार किया।
इस बार हेमकुंड साहिब से पहले बुद्ध पूर्णिमा के दिन श्री लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के भी कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। वैसे तो हर साल एक साथ ही हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। लेकिन इस बार 2 दिन पहले ही बुधवार को लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट खोल दिए गए।
मंदिर समिति ने बताया कि शुक्रवार से कृष्ण पक्ष शुरू हो रहा था और शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में मंदिर के कपाट नहीं खोले जाते हैं। इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर मंदिर के कपाट खोल दिए गए।