छत्‍तीसगढ़

आएगा तो मोदी ही, हम नक्सलवाद खत्म करके ही दम लेंगे : सीएम विष्णुदेव

रायपुर.

जनता की मर्जी ही पीएम मोदी की मर्जी है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जनता की पहली पसंद मोदी हैं। इससे इंडी गठबंधन सहित समूचा विपक्ष बौखलाया हुआ है। क्योंकि मोदी की लोकप्रियता के सामने उनकी दाल नहीं गल रही है। इसलिए अब उम्र का नया शिगूफा ले आए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे 81 साल की उम्र में भी कांग्रेस को जीवित में करने लगे हैं। कांग्रेस और उनकी सहयोगी पार्टियों को पहले उन पर रहम करना चाहिए। अकाट्य सत्य है कि "आएगा तो मोदी ही , विपक्षी अपना घर संभालें।

ये बातें सीएम विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से पीएम मोदी के उम्र पर की गई टिप्पणी को लेकर एक इंटरव्यू में कही। नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई पर कहा कि जब से छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनी है, तब से ही हम नक्सलवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ रहे हैं। अभी तक 104 नक्सली मारे जा चुके हैं। कुछ दिन पहले नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली थी, जिसमें कांकेर में एक दिन में 29 नक्सली मारे गए, बीजापुर में दस, अबुझमाड़ में दस अभी दो दिन पहले शुक्रवार को ही बारह नक्सलियों मुठभेड़ में मारे गए। फोर्स ने इन चार मुठभेड़ में ही 61 नक्सलियों को जान से हाथ धोना पड़ा। इससे पहले इतनी संख्या में कभी नक्सली नहीं मारे गए, जिनमें 20-20 लाख के इनामी नक्सली भी थे। ये हमारे लिए एक बहुत बड़ी सफलता थी। सुरक्षाबलों ने बहुत साहस के साथ ये काम किया।

'डबल इंजन सरकार में छत्तीसगढ़ को फायदा'
मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार का भी छत्तीसगढ़ को बहुत फायदा मिला है। गृहमंत्री शाह अगले एक-दो वर्षों में छत्तीसगढ़ से पूरी तरह नक्सलवाद खत्म करना चाहते है पर दुर्भाग्य है कि कांग्रेस और खास कर पूर्व मुख्यमंत्री इन मुठभेड़ों को फर्जी बता रहे है। जबकि नक्सली खुद लिस्ट जारी कर मुठभेड़ और नक्सली मौतो  को स्वीकार किया है। कांग्रेस की ऐसी आदत ही रही है। इन लोगों ने मोदी के पाकिस्तान पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर भी सवाल खड़े किए थे। ये सब करके ये सेना और सुरक्षाबल के मनोबल घटाने का काम कर रहे हैं, जो सही नहीं है।

'सनातनी होते हैं ट्राइबल के त्यौहार`
सीएम साय ने आदिवासियों को असली हिंदू बताते हुए कहा कि सभी ट्राइबल के त्यौहार भी सनातनी ही होते हैं। दीपावली भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, जिसमें दो दिन दीए जलाते हैं। एक दिन कच्चे दीए और दूसरे दिन पक्के दिये। तीसरे दिन अन्नकूट होता है, जिसमें सुबह मवेशियों को नहलाकर उनके सींगो में तेल लगाना, उनको माला पहनाना साथ ही भोजन पकाकर खिलाते है एवं पूजा करते हैं। पौष पूर्णिमा का त्योहार भी आता है जब खेती बाड़ी से भी फ्री हो जाते हैं। इस दिन बाहर पिकनिक मनाते हैं और अगले दिन घर में अच्छे व्यंजन बनाकर खाते हैं। होली का भी त्यौहार बड़े आनंद के साथ मनाते हैं, लगभग सभी त्योहार ट्राइबल में भी मनाए जाते हैं।

'खेलना-कूदना मेरे सौभाग्य में नहीं रहा'
राजनीतिक गतिविधियों से इतर पारिवारिक छुट्टियों और घूमने फिरने जाने के संबंध में सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कभी खाली रहे ही नहीं। पिताजी के देहांत के बाद 10 वर्ष के उम्र से ही हमारा बचपन संघर्षों में बीता। खेलना-कूदना हमारे सौभाग्य में नहीं था। जिम्मेदारियां ज्यादा थी पर पौष पूर्णिमा जिसमें बाहर पिकनिक मनाने जाने की परंपरा है तो हम गांव के बाहर एक नदी गुजरती है जहां परिवार के साथ जाते और वहीं एक समय का खाना पकाते और खाते थे। फिर राजनीति में आने के बाद हमारा अधिकांश समय सामाजिक कार्यक्रमों एवं लोगों के बीच में ही गुजरा है।

'मुझे बहुत अच्छी धर्मपत्नी मिली है, बिना शिकायत किए हर समय किया सहयोग '
खुद की राजनैतिक व्यस्तता के बीच परिवार को संभालने में पत्नी की भूमिका के सवाल पर साय ने कहा कि मेरा ससुराल गांव से 20 किमी दूर ही है और यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे बहुत अच्छी धर्मपत्नी मिली है। जिन्होंने बिना शिकायत किए हुए हर समय सहयोग किया है और आज जब हम मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्यादा व्यस्त हो गए तो पूरा क्षेत्र आज वो ही संभाल रही हैं। सभी कार्यक्रमों में लोग उन्हें आमंत्रित करते हैं, उनको सुनते हैं वो अच्छी वक्ता भी हैं। पूजा-पाठ में उनकी बहुत रुचि है। गीता,रामायण जैसें ग्रंथ वो पढ़ी हैं।

राजनीतिक सफर
अपने राजनीतिक सफर के बारे में बताते हुए विष्णुदेव साय ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था, क्योंकि मैं जब 10 साल का था तब पिता जी का साया हमारे सर से उठ गया था। घर में बड़े भाई होने के नाते अपनी पढाई के साथ-साथ छोटे भाई बहनों को पढ़ाने की जिम्मेदारी एवं मां-दादी का ख्याल रखना और खेती बाड़ी करना था। जब हमारी पढ़ाई कंप्लीट हुई, उस समय पंचायत चुनाव का समय भी था। गांव वालों के कहने पर हमने पंच का चुनाव लड़ा और पांच वर्ष तक पंच रहे। अगला चुनाव जब आया तो पूरे पंचायत वालों ने कहा कि आप सरपंच बनना चाहोगे तो हम आपको निर्विरोध सरपंच बना देंगे। लोगों से आग्रह करके हमने 13 में से 12 वार्ड में निर्विरोध पंच बनाया और एक वार्ड में चुनाव हुआ तो भी हमारा ही प्रत्याशी जीता। 6 महीने सरपंच रहने के बाद जब विधानसभा चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने तपकरा विधानसभा से हमें प्रत्याशी बनाया और वो चुनाव भी हम एक प्रकार से निर्विरोध जीते। 320 विधानसभा सीटों में हमारी विधानसभा ही ऐसी थी जहां कांग्रेस प्रत्याशी को तकनीकी कारणवश उनका चुनाव चिन्ह अलॉट नहीं हो पाया, जिससे साइकल छाप पर उन्होंने चुनाव लड़ा और आगे उनकी जमानत जब्त हो गई, जिसका कहीं न कहीं फायदा मुझे मिला और हमने 15000 वोटों से जीत कर एक रिकॉर्ड बनाया। भाजपा ने हमेशा मुझे आगे बढ़ाया। अविभाजित मध्यप्रदेश में 2 बार विधायक रहा और 1999 में भारतीय जनता पार्टी ने रायगढ़ से मुझे सांसद प्रत्याशी बनाया और फिर 4 बार लगातार एवं 20 साल सांसद रहा, इसी दौरान पार्टी ने मुझे 3 बार प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व भी दिया। मोदी जी के पहले कार्यकाल में मुझे केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में भी कार्य करने का मौका मिला।

चुनाव के बाद सरकार की ये होगी प्राथमिकता
चुनाव के बाद सरकार की प्राथमिकता के सवाल पर सीएम साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता से जो वादा करके हम सरकार में आए हैं, जो मोदी की गारंटी हैं, उनको लागू करना एवं छत्तीसगढ़ की जनता के विश्वास पर खरा उतरना ही हमारी प्राथमिकता है। चुनाव से पहले 3 महीने की सरकार में हमने अनेक सौगातें छत्तीसगढ़ की जनता को देने का काम किया है। जिसमें 18 लाख प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृत, 3100 रुपया क्विंटल धान खरीदी, महतारी वंदन के तहत हर महीने 1000₹ महिलाओं के खाते में भेजना। इसके अलावा भी बहुत से काम मोदी के गारंटी के तहत हुए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button