राष्‍ट्रीय

Chandrayaan-4 की अब बारी, जापान के साथ मिलकर भारत कैसे देगा अंजाम?

नईदिल्ली
भारत की तरफ से चंद्रमा के लिए छोड़े गए चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की कहानी इतिहास में दर्ज हो गई है। भारत ने तब इतिहास रच दिया जब चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सफलतापूर्वक उतारा गया। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब सभी की निगाहें अगले चरण यानी चंद्रयान-4 पर हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट की मानें तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएक्सए) 'लुपेक्स' को लॉन्च करने के लिए साथ आए हैं, जिसे चंद्रयान-4 भी कहा जाएगा। लुपेक्स चंद्रमा की सबसे पेचीदा सवालों को खोजने का काम करेगा। चंद्रयान-4 के लॉन्च का अगला टारगेट चंद्रमा पर पानी की खोज करना है।

किन सवालों को खोजेगा जवाब?
हाल के वर्षों में हुई रिसर्च में ऐसे दावे किए गए हैं कि चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी संभव है। चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी स्पेस रिसर्च के भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। लुपेक्स इन प्रश्नों के ठोस उत्तर ढूंढने का काम करेगा। लुपेक्स का प्राथमिक उद्देश्य पानी की मौजूदगी और इसकी जरूरतों के लिए चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र की जांच करना है। मिशन का लक्ष्य दो मूलभूत तरीकों से पूरा करना है। पहला चंद्रमा पर जल संसाधनों की मात्रा और दूसरा गुणवत्ता का निर्धारण करना।

कब होगा लॉन्च?
लुपेक्स को कम गुरुत्वाकर्षण वाले खगोलीय पिंडों पर सतह की खोज और आवश्यक तकनीक को आगे बढ़ाने के ध्येय से तैयार किया जाएगा। भारत-जापान संयुक्त रूप से चंद्रमा से जुड़े दिलचस्प प्रश्नों के उत्तर जुटाने में साथ आ रहे हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि मिशन 2026 तक लॉन्च हो सकता है।

चंद्रयान-3
बुधवार को चंद्रयान-3 का लैंडर शाम 6 बजे के आस-पास दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के जरिए उतरा। इस मिशन की सफलता ने पूरे देश को एक जोश से भर दिया। भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब कुछ दिन पहले रूस का अंतरिक्ष यान 'लूना 25' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। ऐसे में चंद्रयान-3 से लोगों की काफी उम्मीदें थी।

 

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