राष्‍ट्रीय

जब सोनिया को नहीं मिली थी विश्वविख्यात मंदिर में एंट्री, गुस्से में उलटे पांव लौट आए थे PM राजीव गांधी

नई दिल्ली.

बात दिसंबर 1988 की है। राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। वह पड़ोसी देश नेपाल के दौरे पर थे। साल भर के अंदर नेपाल की उनकी यह दूसरी यात्रा थी। इससे पहले वह दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने नवंबर 1987 में काठमांडू गए थे। इस बार उनके साथ उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी थीं। वे पत्नी के साथ काठमांडू के विश्वविख्यात पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा करना चाहते थे।

उस वक्त नेपाल दुनिया का एकमात्र हिन्दू राजशाही वाला देश था। बीरेंद्र बीर बिक्रम नेपाल के राजा थे। उनकी राजीव गांधी से काफी अच्छी दोस्ती थी। राजमहल में बातचीत के दौरान राजीव गांधी ने बीर बिक्रम से इच्छा जताई थी कि वह सपरिवार पशुपतिनाथ मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं। वह नेपाल के राजा से इस बारे में आश्वासन चाह रहे थे कि मंदिर में सोनिया गांधी की सुरक्षित एंट्री हो सके। ऐसा इसलिए , क्योंकि मंदिर प्रबंधन ने भारतीय दूतावास को बताया था कि राजीव गांधी का स्वागत है, लेकिन सोनिया गांधी को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा क्योंकि वह हिंदू नहीं हैं। आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर और पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह ही पशुपतिनाथ मंदिर में भी गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर पाबंदी है। ये बात राजीव गांधी को मालूम हो गई थी, इसलिए उन्होंने नेपाल के राजा के सामने यह सवाल उठाया था लेकिन राजा बीर बिक्रम सिंह भारत के प्रधानमंत्री की कोई मदद नहीं कर सके। राजा बीरेंद्र ने पुजारियों को किसी तरह का आदेश देने में अपनी असमर्थता जाहिर की। पुजारी भी सोनिया गांधी को मंदिर में प्रवेश नहीं देने पर अड़ गए।

दरअसल, कहा जाता है कि बीर बिक्रम सिंह की पत्नी और नेपाल की तत्कालीन महारानी ऐश्वर्या पशुपतिनाथ मंदिर के ट्रस्ट के मामलों में खासा दखल रखती थीं और वह नहीं चाहती थीं कि ईसाई मूल की सोनिया गांधी पशुपतिनाथ मंदिर में कदम रखें। उन्होंने भी इस मामले पर कड़ा रुख अपना रखा था। राजीव गांधी ने इस घटना को अपने व्यक्तिगत अपमान के तौर पर लिया और  पशुपतिनाथ मंदिर से उलटे पांव बिना दर्शन और पूजा किए लौट आए थे। राजीव गांधी की यह यात्रा भारत-नेपाल संबंधों को पटरी पर लाने के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही थी लेकिन हुआ ठीक इससे उलटा। राजीव गांधी अपने अपमान से तिलमिला उठे थे। कहा जाता है कि सोनिया गांधी भी इस अपमान को कभी नहीं भूल पाईं। इसके कुछ ही समय बाद भारत ने नेपाल पर नाकाबंदी लगा दी थी।  माना जाता है कि नेपाल पर नाकाबंदी लगाने के राजीव गांधी के फैसले के पीछे भी सोनिया गांधी को मंदिर में एंट्र नहीं देने का मामला था।

हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि नाकाबंदी के पीछे वास्तविक कारण दोतरफा थे। एक था नेपाल द्वारा चीन से विमानभेदी तोपों और अन्य हथियारों की खरीद और दूसरा  राजीव गांधी की कैथोलिक पत्नी के प्रति कथित अपमान के लिए नेपाल को सबक सिखाने की इच्छा थी। नाकाबंदी के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार थम गए और रिश्तों में तल्खी आ गई थी। पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के विशेष निदेशक अमर भूषण ने अपनी पुस्तक 'इनसाइड नेपाल' में खुलासा किया है कि राजीव गांधी के शासनकाल में कैसे एजेंसी ने नेपाल की राजशाही को उखाड़ फेंकने के लिए काम किया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button