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बंपर जीत के बीच सांसदों की ले ली परीक्षा, अब मोदी कैबिनेट में बदलाव की तैयारी, रेस में ये नाम

नई दिल्ली  
हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में शानदार जीत दर्ज कर सत्ता हासिल करने वाली भाजपा अब केंद्र सरकार में भी फेरबदल की तैयारी में है। पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्री परिषद में जल्दी ही कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। चर्चा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आने वाले कुछ सांसदों को मौका मिल सकता है। पार्टी को लगता है कि इससे 2024 के लिए स्थानीय स्तर पर समीकरण मजबूत करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा राज्यों में विधायक चुने गए कुछ सांसदों से इस्तीफा भी लिया जा सकता है और उन्हें संबंधित प्रदेशों में कुछ अहम जिम्मेदारियां मिल सकती हैं।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रल्हाद पटेल ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की है। इसके अलावा रेणुका सिंह भी छत्तीसगढ़ से जीती हैं। अब इन मंत्रियों के भविष्य को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। इनके अलावा सांसदों की बात करें तो राकेश सिंह, रीती पाठक, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, अरुण साव भी सांसद चुने गए हैं। इनमें से कुछ लोगों को केंद्र सरकार में हिस्सेदारी मिल सकती है। इनमें जिन लोगों के नाम खासतौर पर चर्चा में हैं, उनमें होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह, राजस्थान के किरोड़ी लाल मीणा और अलवर के सांसद बाबा बालकनाथ शामिल हैं।

विधायक चुने गए मंत्रियों और सांसदों को अगले 14 दिनों अंदर विधानसभा या फिर संसद से इस्तीफा देना होगा। भाजपा के एक सीनियर नेता ने कहा कि ज्यादातर नेताओं को इसलिए विधानसभा चुनाव में उतारा गया था कि वे राज्यों में पार्टी को मजबूत करें। ऐसे में ज्यादा संभावना यही है कि सांसदों से कहा जाए कि वे लोकसभा छोड़ दें और राज्य में ही सक्रिय हों। इसके अलावा विधायक चुने गए तीन केंद्रीय मंत्रियों पर भी हाईकमान फैसला लेगा। वहीं फग्गन सिंह कुलस्ते और सांसद गणेश सिंह तो विधायक भी नहीं बन पाए।

ऐसे में इन्हें आगे क्या जिम्मेदारी मिलेगी और क्या छिनेगा, इसकी भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बीते कई महीनों से केंद्रीय कैबिनेट में बदलाव की चर्चाएं हैं। माना जा रहा है कि इन तीन राज्यों के नतीजों के बाद अब कभी भी बदलाव हो सकता है। हालांकि पूरी संभावना यही है कि जो सांसद इस्तीफा देंगे, उनकी सीटों पर उपचुनाव नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराना होता है और 2024 के चुनाव में उससे कम का ही वक्त बचा है। ऐसे में संभावना है कि चुनाव ही न कराया जाए।  

 

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