राष्‍ट्रीय

विध्वंसक INS Vindhyagiri बोकारो के इस्‍पात से तैयार नया युद्धपोत

बोकारो

लहराएगा तिरंगा आसमान पर, भारत का नाम होगा दुनिया की जुबान पर, ले लेंगे उसकी जान या खेलेंगे अपनी जान पर, जो कोई उठाएगा आंख हिंदुस्तान पर। इसी उद्देश्य के साथ भारतीय नौसेना के बेड़े में एक और युद्धपोत आइएनएस विंध्यगिरि गुरुवार को शामिल हो गया।

खास बात यह कि इसके निर्माण में स्टील अथाॅरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की बड़ी भूमिका रही है। सेल ने इसके निर्माण के लिए चार हजार टन विशेष इस्पात आपूर्ति किया है। इसमें से दो हजार टन डीएमआर 249 ए ग्रेड का इस्पात बोकारो स्टील प्लांट ने दिया है। इसका निर्माण गार्डनरीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड कंपनी ने किया है।

 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कोलकाता में इसकी लाॅचिंग की। आइएनएस विंध्यगिरि युद्धपोत नौसेना की उस महत्वपूर्ण परियोजना (पी-17-ए) का हिस्सा है, जिसके तहत सात युद्धपोत बनने हैं।

इससे पहले बोकारो स्टील प्लांट ने आइएनएस विक्रांत के लिए 30 हजार टन इस्पात की आपूर्ति की थी। छठे युद्धपोत आइएनएस विंध्यगिरी से पहले आइएनएस नीलगिरि, आइएनएस हिमगिरि, आइएनएस उदयगिरि, आइएनएस दूनागिरि और आइएनएस तारागिरि का निर्माण हो चुका है। सभी के लिए बोकारो स्टील ने इस्पात भेजा है।

INS विक्रांत के लिए बनाया था डीएमआर 249 ए श्रेणी का इस्पात

डीएमआर 249 ए कई विशेषताओं से लैस इस्पात है। जो जितना कठोर है, उतना लचीला भी। शून्य से माइनस 60 डिग्री सेल्सियस कम ताप पर भी बड़े प्रहार सह सकता है। इस फौलाद में मैगनीज, कार्बन और सल्फर की मात्रा कम करके निकिल की मात्रा बढ़ाई गई है।

साथ ही वेनेडियम, नियोबियम, मोलिब्डेनम, क्रोमियम तत्व भी मिलाए गए हैं। इसकी प्लेट बनाकर ऊष्मा दी जाती है, ताकि इसकी मजबूती बढ़ सके। इसका वजन कम होता है। यह विमानवाहक पोत के लिए जरूरी बिंदु है।

ये हैं खासियत

  •     इसकी भार वहन क्षमता करीब 6670 टन है।
  •     150 मीटर लंबा और 37 मीटर ऊंचे इस युद्धपोत की गति 52 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
  •     बराक 8 और ब्रह्मोस मिसाइल लॉन्‍च करने में यह सक्षम है।

    देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने को सेल तत्‍पर है। बोकारो स्‍टील की इस परियोजना में हिस्‍सेदारी से हम गौरवान्वित हैं। आगे भी देश की जरूरत के अनुसार काम करते रहेंगे- मणिकांत धान, प्रमुख संचार, बीएसएल।  

 

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