राष्‍ट्रीय

इसरो ने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम से पहले परीक्षण यान का सफल प्रक्षेपण किया

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश).
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कुछ प्रारंभिक बाधाओं से पार पाते हुए देश के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम 'गगनयान' से जुड़े पेलोड के साथ उड़ान भरने वाले परीक्षण यान का शनिवार पूर्वाह्न 10 बजे सफल प्रक्षेपण किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और तमिनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन समेत कई नेताओं ने इस सफल प्रक्षेपण पर वैज्ञानिकों को बधाई दी।

वैज्ञानिकों ने मिशन निष्फल होने की स्थिति में (अबॉर्ट सिचूएशन) टीवी-डी1 परीक्षण यान से 'क्रू मॉड्यूल' (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) को बाहरी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के बाद वापस सुरक्षित लाने के लिए 'क्रू एस्केप सिस्टम' यानी चालकदल बचाव प्रणाली (सीईएस) का परीक्षण किया। तय योजना के अनुसार, 'क्रू मॉड्यूल' और 'क्रू एस्केप सिस्टम' के बंगाल की खाड़ी में सुरक्षित और सटीक तरीके से गिरने पर मिशन नियंत्रण केंद्र में इसरो के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई।

'क्रू मॉड्यूल' (सीएम) वह स्थान है, जहां गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में दबावयुक्त पृथ्वी जैसे वातावरण के बीच रखा जाना है। इसरो ने कहा कि टीवी-डी1 के लिए सीएम एक बिना दबाव वाला संस्करण था। अधिकारियों ने बताया कि नौसेना उन्हें बंगाल की खाड़ी से फिर से प्राप्त करेगी और इसे चेन्नई बंदरगाह लेकर आएगी। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र से कहा, ''मुझे टीवी-डी1 मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है। मिशन का उद्देश्य एक परीक्षण यान प्रदर्शन के माध्यम से गगनयान कार्यक्रम के लिए चालक दल बचाव प्रणाली का प्रदर्शन करना था। इस दौरान वाहन एक 'मैक' और उससे भी अधिक तेजी से ऊपर गया, जो कि ध्वनि की गति है और फिर मिशन निष्फल होने की (अबार्ट) स्थिति में सीईएस की कार्यप्रणाली को दर्शाया गया।''

इसरो ने एकल-चरण तरल प्रणोदक वाले रॉकेट के इस प्रक्षेपण के जरिए मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 'गगनयान' की दिशा में आगे कदम बढ़ाया। इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और पृथ्वी पर सुरक्षित वापस लाना है। इसरो ने शुक्रवार को कहा था कि इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशन के लिए आधार तैयार करेगी, जिससे पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा। यह प्रक्षेपण सुबह आठ होना था, लेकिन मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इसका समय पहले सुबह साढ़े आठ बजे तथा फिर 15 और मिनट के लिए पुनर्निर्धारित करना पड़ा। एकल चरण तरल प्रणोदन रॉकेट जैसे ही आसमान की ओर उड़ान भरने वाला था, उससे मात्र चार सेकंड पहले स्क्रीन पर 'होल्ड' (रोका जाना) का संकेत दिखने लगा।

सोमनाथ ने कहा, ''प्रक्षेपण की शुरुआती प्रक्रिया के बाद 'ग्राउंड कम्प्यूटर' ने 'होल्ड' जारी किया। इस कम्प्यूटर को स्वचालित लॉन्च अनुक्रम कम्प्यूटर कहा जाता है।'' उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर ने इंजन को तय प्रक्रिया के अनुसार चालू करने में किसी विसंगति की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली में निगरानी संबंधी किसी दिक्कत के कारण हुआ और इसलिए वैज्ञानिक इसका बहुत तेजी से पता लगा सके और इसे दुरुस्त कर सके। सोमनाथ ने कहा कि गैसों को भरने में थोड़ा समय लगा और यह काम पूरा हो जाने के बाद स्वचालित लॉन्च अनुक्रम की प्रक्रिया उचित तरीके से हुई। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत यान की अच्छी तरह से जांच की गई। उन्होंने कहा कि इसके बाद मिशन कम्प्यूटर और 'ग्राउंड सपोर्ट कम्प्यूटर' ने लॉन्च को अधिकृत किया और 34.9 मीटर लंबे टीवी-डी1 को प्रक्षेपण की अनुमति दी।

इसरो प्रमुख ने कहा, ''मुझे खुशी है कि हमारी टीम ने विसंगति का पता लगा लिया और इसे दूर कर दिया। सभी को बधाई। यह गगनयान कार्यक्रम की तैयारी के लिए हर किसी के लिए यह एक बड़ा प्रशिक्षण है…मुझे खुशी है कि प्रक्षेपण आवंटित प्रक्षेपण समय (लॉन्च विंडो) के भीतर हो सका।'' प्रक्षेपण के बाद मिशन के हर चरण की सफलता के साथ ही वैज्ञानिकों की खुशी भी बढ़ती जा रही थी। सोमनाथ ने सूचित किया, ''सीईएस क्रू मॉड्यूल को वाहन से दूर ले गया। इसके बाद क्रू मॉड्यूल के सभी संचालन, सीईएस के अलग होने, सभी पैराशूट खुलने और आवश्यक वेग पर समुद्र में उतरने की प्रक्रियाएं बहुत अच्छी तरह से पूरी हुईं।'' उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी अगले साल की शुरुआत में मानव रहित गगनयान मिशन के तहत प्रक्षेपण करेगी।

'क्रू मॉड्यूल रियलाइज़ेशन' के मिशन कार्यकारी और गगनयान के मिशन निदेशक आर. हटन ने आज की सफलता की सराहना की। हटन ने कहा, ''इस विशेष मिशन में सबसे महत्वपूर्ण चालक दल की सुरक्षा है…मिशन में प्रदर्शित किया गया है कि मानो कोई पक्षी अपने बच्चे को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा हो।'' उन्होंने कहा कि यह मिशन मजबूत और विश्वसनीय है ''लेकिन हम कोई जोखिम में नहीं ले सकते और इसलिए यदि कोई खराबी होती है तो प्रक्षेपण यान में एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जो 'क्रू मॉड्यूल' को दूर ले जाकर नीचे उतारे। इस प्रणाली को 'क्रू एस्केप सिस्टम' कहा जाता है ।'' हटन ने कहा कि परीक्षण यान के पहले मिशन में आज इसे ''सटीकता से दिखाया'' गया। मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर कहा, ''यह प्रक्षेपण हमें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान को साकार करने के एक कदम और करीब ले जाता है। इसरो के हमारे वैज्ञानिकों को मेरी शुभकामनाएं।''

शाह ने भी 'एक्स' पर लिखा, ''चंद्रयान तीन के सफल प्रक्षेपण के बाद हमारा देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाने के लिए तैयार है। आज इसरो ने गगनयान के टीवी-डी1 परीक्षण यान का प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और उल्लेखनीय यात्रा की पटकथा लिखी।'' उन्होंने कहा, ''मैं सफलता के इस महत्वपूर्ण अवसर पर हमारे वैज्ञानिकों और हमारे नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं।'' स्टालिन ने 'एक्स' पर लिखा, ''गगनयान टीवी-डी1 परीक्षण यान की सफलता पर इसरो को बधाई। यह अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में भारत की यात्रा में अहम मील का पत्थर है। मैं इसरो की पूरी टीम के समर्पण एवं कड़ी मेहनत के लिए उसकी सराहना करता हूं।''

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 'एक्स' पर कहा, ''प्रथम गगनयान मिशन परीक्षण वाहन उड़ान (टीवी-डी1) को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसरो को बधाई। यह भारत के अपने चालक दल वाले अंतरिक्ष मिशनों को लॉन्च करने में एक बड़ा कदम है और अंतरिक्ष अनुसंधान में पर्याप्त प्रगति हासिल करने में हमारी क्षमता को साबित करता है।'' यह परीक्षण यान मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि कल परीक्षण के लिए लगभग पूरी प्रणाली एकीकृत की गई है। 'क्रू मॉड्यूल' रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है।

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