कारोबार

BSE ने चीन को पछाड़ा, ड्रैगन को छोड़ दलाल स्ट्रीट पर लट्टू हुए निवेशक

मुंबई

भारत न केवल आर्थिक विकास के मोर्चे पर चीन को पछाड़ा है, बल्कि भारतीय शेयर बाजार ने चाइना के स्टॉक मार्केट को काफी पीछे छोड़ दिया है। MSCI इंडिया इंडेक्स इस साल 7.5% बढ़ा है, जबकि MSCI चीन इंडेक्स में 7.6% की गिरावट आई है। टीओआई की रिपोर्ट के मुाताबिक पिछले पांच साल में यह फासला और बढ़ गई है। दूसरी तरफ भारतीय शेयर बाजारों ने 63% का रिटर्न दिया है, वहीं चाइनीज इक्विटी मार्केट 18% का निगेटिव रिटर्न दिया है। इस दौरान भारतीय बाजारों ने अपने अधिकांश प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन किया है।

भारतीय बाजार काफी आशाजनक

 सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की जीडीपी वृद्धि जून तिमाही में 7.8% रही। इस दौरान चीन की जीडीपी वृद्धि 6.3% थी। आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक 2023 और 2024 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.3% की दर से बढ़ेगी, जबकि इसी अवधि में चीन की अर्थव्यवस्था में क्रमश: 5% और 4.2% की वृद्धि होने की उम्मीद है। फ्रैंकलिन टेम्पलटन के जोनाथन कर्टिस ने अपनी हालिया भारत यात्रा के दौरान कहा, "भारतीय बाजार काफी आशाजनक दिख रहे हैं। यहां अच्छी ग्रोथ हो रही है. वहां बहुत सारा बुनियादी ढांचा निवेश चल रहा है, यह सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसके विपरीत, चीन में, हम रियल्टी सेक्टर में समस्याएं देख रहे हैं।''

चीनी मार्केट से भंग हुआ निवेशकों का मोह

चीन के बाजारों में पैसा लगाने वाले विदेशी निवेशकों का मोह भंग हो रहा है। वे अब भारत का रुख कर चुके हैं।  विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी फंड मैनेजर, जो अरबों डॉलर के फ्लो को नियंत्रित करते हैं, तेजी से चीनी शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं और इसमें से कुछ को भारतीय शेयरों में लगा रहे हैं। भारतीय शेयरों ने चीनी इक्विटी को बड़े अंतर से हराया है। दरअसल अरबों डॉलर के विदेशी फंडों और खुदरा निवेशकों के समर्थन से भारत इस मामले में चीन को पछाड़ने में कामयाब रहा।

चीनी इक्विटी से 12 अरब डॉलर निकाले

अगस्त में विदेशी निवेशकों ने चीनी इक्विटी से लगभग 12 अरब डॉलर निकाले, जबकि भारत में लगभग 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया। आवास बाजार में मंदी और बढ़ते स्थानीय सरकारी ऋण के कारण महामारी के बाद चीन की आर्थिक वापसी उम्मीद से कमजोर रही है। आर्थिक अनिश्चितता के बीच चीन के लोग बचत पर अंकुश लगा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू मांग कम हो गई है। वहीं, आर्थिक मंदी ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है।

चीन में उठे सवालों ने भारत को दिया चमकने का मौका

जेपी मॉर्गन में ग्रेटर चीन के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ग्रेस एनजी ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में कहा कि चीन में निवेश क्षमता पर उठे सवालों ने भारत को चमकने का मौका दिया है। भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं, मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रृंखला संकट जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत की आर्थिक बुनियाद अनुकूल दिख रही है।

सितंबर में भारत ने छह महीने में पहली बार विदेशी निवेशकों को लगभग 1.8 अरब डॉलर मूल्य के स्टॉक बेच कर मार्केट से बाहर जाते देखा, लेकिन घरेलू निवेशकों के दम पर सेंसेक्स इसी महीने में 1,000 अंक चढ़ने में कामयाब रहा। बड़े घरेलू निवेशकों ने पिछले महीने शेयरों में लगभग 3 अरब डॉलर का निवेश किया, जिसमें से लगभग 90% म्यूचुअल फंड से आया।

 

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