भारतीय पोल्ट्री डिब्बों में एवियन इन्फ्लूएंजा से मुक्ति की स्व-घोषणा की मंजूरी पोल्ट्री क्षेत्र के लिए गेम चेंजर : रूपाला
नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने चेन्नई से सागर परिक्रमा कार्यक्रम के अगले चरण की शुरुआत करते हुए मीडिया से बातचीत में कहा कि विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारतीय पोल्ट्री डिब्बों में एवियन इन्फ्लूएंजा से मुक्ति की स्व-घोषणा की मंजूरी दे दी गई। यह हमारे पोल्ट्री क्षेत्र के लिए गेम चेंजर होगी।
उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने 64 देशों को पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात किया, जिससे 134 मिलियन अमेरिकी डालर का राजस्व प्राप्त हुआ। इस स्व-घोषणा की मंजूरी से वैश्विक बाजार में भारतीय पोल्ट्री के लिए नए अवसर खुलने की उम्मीद है।
परषोत्तम रूपाला ने कहा कि ये पोल्ट्री डिब्बे भारत के चार राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्थित हैं। इनसे मांस और अंडे सहित भारतीय पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ाने में योगदान मिलेगा। भारत, विश्व स्तर पर अंडों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक (129.60 बिलियन) और पोल्ट्री मांस का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक (4.47 मिलियन टन) है। इससे भारत को काफी फायदा होगा।
परषोत्तम रुपाला ने कहा कि एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई), जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है, भारत में पहली बार फरवरी 2006 में महाराष्ट्र राज्य में पाया गया था। तब से देश ने विभिन्न क्षेत्रों में एचपीएआई के वार्षिक प्रकोप का अनुभव किया है, जिससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। यह बीमारी 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रिपोर्ट की गई है, जिसके परिणामस्वरूप इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए 9 मिलियन से अधिक पक्षियों को मार दिया गया।
उन्होंने कहा कि भारत में एचपीएआई के खिलाफ टीकाकरण की अनुमति नहीं है। इन चुनौतियों के बावजूद भारत ने पोल्ट्री कंपार्टमेंटलाइज़ेशन की अवधारणा को अपनाकर एचपीएआई से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है। कंपार्टमेंटलाइज़ेशन एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो पशु स्वास्थ्य को बढ़ाता है, डिब्बे के भीतर और बाहर बीमारी के फैलने के जोखिम को कम करता है, और पोल्ट्री और पोल्ट्री से संबंधित उत्पादों के व्यापार को सुविधाजनक बनाता है।