राष्‍ट्रीय

अस्पताल कर्मी से बाबा बनकर घर में लगा रहा था दरबार

नई दिल्ली.

स्वयंभू बाबा विनोद कश्यप (33) को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बाबा विनोद आध्यात्मिकता अपनाने और द्वारका में दो मंजिला घर में ‘दरबार’ लगाने से पहले एक अस्पताल में नौकरी करता था। आरोपी बाबा ने वहां करीब चार से पांच साल तक नौकरी की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में हेल्प के रूप में वह काम करता था। यहां से उसे 25 हजार रुपये प्रति महीने वेतन मिलता था। लेकिन बाद में विनोद कश्यप ने नौकरी छोड़ दी।

नौकरी छोड़कर विनोद कश्यप ने बाबा का चोला पहना और अपना आश्रम खोल लिया। वह लोगों की व्यक्तिगत और स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने का दावा करता था। वह लोगों से कहता था कि मुझे ‘भगवान का आशीर्वाद’ प्राप्त है। मैं तुम्हारे सारे दुख दूर कर दूंगा। इसके बाद लगातार उसके अनुयायी बढ़ते चले गए। एक हफ्ते में 400 ‘संकटग्रस्त’ लोग विनोद कश्यप के घर आशीर्वाद लेने के लिए आते थे। विनोद बाबा घर के एक छोटे से कमरे में एक मंच पर बैठता था। बाबा के अनुयायी सामने जमीन पर बैठते थे। बाबा का दरबार शनिवार और मंगलवार को पांच से छह घंटे के लिए आयोजित किया जाता था। विनोद कश्यप ने एक YouTube चैनल भी बनाया हुआ है। इस पर 900 से ज्यादा वीडियो हैं, 34.5k सब्सक्राइबर्स हैं।

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