मध्‍यप्रदेश

मोहन सरकार के दो वर्षों में प्रदेश में बना 77,268 किमी का रोड नेटवर्क, सड़कें बनीं नई जीवन रेखा

भोपाल 

प्रदेश में विकास का नया अध्याय लिखते हुए सड़कें अब प्रदेश की नई जीवन रेखा के रूप में उभर रही हैं। जिस तरह वर्षों से नदियां ग्रामीण और शहरी आबादी को जोड़ने और प्रदेश की जीवन रेखा बनी हुई हैं, उसी प्रकार अब विशाल सड़क नेटवर्क प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक प्रगति को नई गति दे रहा है। पिछले दो वर्षों में मध्य प्रदेश ने 12 हजार किमी सड़क निर्माण, उन्नयन और सुदृढ़ीकरण का कार्य कर राज्य के 77 हजार 268 किमी के सड़क नेटवर्क ने प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल कर दिया है। जानकारी के अनुसार 2023-24 और 2024-25 के बीच लगभग 6,500-7,000 किमी तक सड़क नेटवर्क बढ़ा है।

करीब सात किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर
जबलपुर में प्रदेश के सबसे लंबे 6.9 किमी के दमोह नाका-मदनमहल-मेडिकल रोड एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण पूरा किया गया है। इसके साथ ही राजधानी भोपाल में डॉ. आम्बेडकर फ्लाईओवर (2.73 किमी) और 15.1 किमी लंबा श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर मार्ग जैसे बड़े शहरी कॉरिडोर राज्य की परिवहन व्यवस्था को मजबूत बना रहे हैं। पहली बार राज्य वित्तपोषित एक्सप्रेसवे मॉडल के तहत उज्जैन-इंदौर, इंदौर-उज्जैन और भोपाल पूर्वी बायपास जैसे हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।

सिंहस्थ के पूर्व 12 हजार करोड़ खर्च होंगे
उज्जैन में सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए 52 प्रमुख कार्यों पर 12 हजार करोड़ रुपये व्यय किए जाने की योजना है, जिससे धार्मिक पर्यटन, आस्था स्थलों और शहरी कनेक्टिविटी को मजबूत आधार मिलेगा। इसके अलावा प्रदेश में 6-लेन और 4-लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का व्यापक नेटवर्क विकसित कर औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि मंडियों, लॉजिस्टिक ज़ोन्स और प्रमुख शहरों को तीव्र गति से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एनएचएआई के सहयोग से सतना-चित्रकूट, रीवा-सीधी, बैतूल-खंडवा–इंदौर, और जबलपुर-झलमलवाड़ जैसे राष्ट्रीय महत्व के हाईवे का भी विस्तार किया जा रहा है।

रोड नेटवर्क का तेजी से विस्तार
प्रदेश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों, ग्रामीण सड़कों और सिटी लिंक रोड्स के तेजी से विस्तार से आम नागरिकों को सीधा लाभ मिल रहा है। किसानों की कृषि उपज अब आसानी से मंडियों तक पहुंच रही है, जिससे लागत कम हो रही है और आय में सुधार हो रहा है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों की नई सड़कें गांवों को कस्बों और शहरों से जोड़ते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार तक पहुंच को अधिक सुगम बना रही हैं। मध्य प्रदेश में सड़कें अब न केवल प्रदेश की रफ्तार बढ़ा रही हैं, बल्कि विकास, रोजगार और समृद्धि की नई राह भी खोल रही हैं। नदियों की तरह अब सड़कें भी प्रदेश की नई जीवनदायिनी शक्ति बन चुकी हैं।

पहली बार राज्य वित्त पोषित एक्सप्रेसवे मॉडल
प्रदेश में पहली बार राज्य वित्त पोषित एक्सप्रेसवे मॉडल के तहत उज्जैन–इंदौर, इंदौर–उज्जैन और भोपाल पूर्वी बायपास जैसे हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं। सिंहस्थ 2028 से पहले 52 प्रमुख कार्यों पर 12 हजार करोड़ रुपये खर्च कर धार्मिक पर्यटन और शहरी कनेक्टिविटी को नया रूप दिया जाएगा। 6-लेन और 4-लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का बड़ा नेटवर्क औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि मंडियों, लॉजिस्टिक ज़ोन्स और प्रमुख शहरों को तेज़ गति से जोड़ेगा। एनएचएआई के सहयोग से सतना–चित्रकूट, रीवा–सीधी, बैतूल–खंडवा–इंदौर, जबलपुर–झलमलवाड़ जैसे राष्ट्रीय महत्व के मार्गों का विस्तार होगा। भोपाल में पूर्वी बायपास पर 3,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। 

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