राष्‍ट्रीय

19वीं कोर कमांडर बैठक में कोई सफलता नहीं, LAC पर शांति बनाए रखने को सहमत हुए भारत-चीन

 नई दिल्ली

भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई 19वें दौर की वार्ता के बाद कोई ठोस सफलता नहीं मिली। दोनों देशों की सेनाओं ने 13-14 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय क्षेत्र में चुशुल-मोल्डो में कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की वार्ता की। विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर 'सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा' की। सैन्य वार्ता सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई और करीब 10 घंटे तक चली।

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर चीन के साथ सैन्य वार्ता को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि शेष मुद्दों के समाधान पर दोनों पक्षों के बीच सकारात्मक, गहन चर्चा हुई। दोनों पक्ष शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने, बातचीत की गति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति व संयम बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया।

विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, "दोनों पक्ष शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत और वार्ता की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए। साथ ही दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीन पर शांति बनाए रखने पर सहमत हुए।” भारतीय और चीनी पक्षों के बीच हुई 19 दौर की वार्ता में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) से सैनिकों की वापसी के चार दौर के बावजूद, दोनों पक्षों ने लद्दाख थिएटर में 60,000 से अधिक सैनिक और एडवांस हथियार तैनात किए हैं।

पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई स्थानों से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशीम बाली ने किया। इस कोर का मुख्यालय लेह में है। चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया। इससे पहले, 23 अप्रैल को 18वें दौर की सैन्य वार्ता हुई थी जिसमें भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक के लंबित मुद्दों पर जोर दिया था।

बता दें कि दोनों देशों के बीच 19वें दौर की सैन्य वार्ता दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से एक सप्ताह पहले हुई। ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग भाग लेंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 24 जुलाई को जोहानिसबर्ग में पांच देशों के समूह ब्रिक्स की बैठक के दौरान शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की थी।

बैठक के संबंध में अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि डोभाल ने यह अवगत कराया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति से सामरिक विश्वास का क्षरण हुआ है तथा संबंध कमजोर हुए हैं। भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति कायम नहीं होती, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

 

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