मध्‍यप्रदेश

हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को लगाई फटकार,सचिव,रजिस्ट्रार,चेयरमैन को किया तलब

 जबलपुर

नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में हुए फर्जीवाड़े मामले में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच में  जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल के समक्ष हुई, जिसमें इंडियन नर्सिंग काउंसिल की सचिव और एमपी नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार व चेयरमैन को हाई कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने आवेदन पेश कर कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के तीन बार आदेश देने के बावजूद इण्डियन नर्सिंग काउंसिल और एमपी नर्सिंग काउंसिल के ज़िम्मेदार अधिकारी मान्यता से जुड़े पूरे रिकॉर्ड पेश नहीं कर रहे हैं, आरोप लगाया गया कि वे दोषियों को बचाने के उद्देश्य से हाई कोर्ट के आदेश की लगातार अवहेलना कर रहे हैं जिस कारण से उनके विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाये।

काउंसिल के ज़िम्मेदार अधिकारियों को अगली सुनवाई में हाजिर होने के निर्देश

हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करना और रिकॉर्ड पेश नहीं कर दोषियों को बचाने का एक प्रयास करना, न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के समान है इसलिए काउंसिल के ज़िम्मेदार अधिकारियों को अगली सुनवाई में हाई कोर्ट के समक्ष पेश होकर इस मामले में स्पष्टीकरण देना होगा कि आख़िर हाई कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया?

HC के निर्देश पर गठित कमेटी की भूमिका पर सवाल  

याचिकाकर्ता ने एक अन्य आवेदन पेश कर हाई कोर्ट को बताया कि नर्सिंग मामलों हेतु हाई कोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी के द्वारा 30 अपात्र कॉलेजों के छात्रों को दूसरे कॉलेजों में ट्रांसफ़र कर दिया गया है और इसके लिए कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है और ना ही छात्रों को मनपसंद कॉलेजों को चुनने का विकल्प दिया गया ।
31 मई तक अंतिम कार्यवाही का प्रतिवेदन हाई कोर्ट में सौंपने के आदेश

इस मामले में हाई कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को आदेश दिया है कि सभी अनसुटेबल कॉलेजों के छात्रों को पारदर्शीपूर्ण तरीक़े से छात्रों को विकल्प चुनने का अवसर देते हुए सुटेबल कॉलेजों में ट्रांसफ़र किया जाए साथ ही इस पूरी प्रक्रिया से नोडल अधिकारी को दूर रखा जाये। हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिए हैं कि चूँकि कमेटी को हाई कोर्ट के द्वारा सौंपे गये कार्य संपन्न हो चुके हैं इसलिए अब कमेटी को 31 मई तक अंतिम कार्यवाही का प्रतिवेदन हाई कोर्ट में सौंपना होगा।

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