अंतर्राष्ट्रीय

रूस का आपात अलर्ट,कभी भी भड़क सकता भारत-पाक युद्ध !, भारत और पाक के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया

नई दिल्ली
कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। इस स्थिति को देखते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस के नागरिकों और अधिकारियों को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पुतिन ने अपने नागरिकों से एहतियात बरतने और भारत-पाकिस्तान के बीच संभावित संघर्ष की स्थिति में सतर्क रहने को कहा है। रूस के विदेश मंत्रालय ने भी मास्को से एक आपात संदेश जारी करते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध "किसी भी समय" शुरू हो सकता है। मास्को ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है लेकिन साथ ही यह भी चेताया है कि हालात बेहद नाजुक हैं और किसी भी छोटे घटनाक्रम से बड़ा टकराव छिड़ सकता है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने 25 अप्रैल को अपने नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा से दूर रहने की सख्त सलाह दी है। आमतौर पर रूस इस तरह की चेतावनियां बहुत कम जारी करता है, जिससे इस कदम को सामान्य नहीं माना जा रहा। विश्लेषकों का मानना है कि रूस की खुफिया एजेंसियों को दक्षिण एशिया में किसी बड़े टकराव की आशंका है। रूस के बयान में भारत-पाकिस्तान के बीच "तेज होते तनाव" और "युद्ध जैसी भाषा" का उल्लेख किया गया है। पाकिस्तान स्थित रूसी दूतावास ने भी अपने नागरिकों को स्थिति के सामान्य होने तक पाकिस्तान यात्रा न करने की सलाह दी है। च रूस ने अपने राजनयिकों को भी सतर्क रहने का आदेश दिया है और कहा है कि दक्षिण एशिया में तैनात सभी रूसी मिशन स्थिति पर नजर बनाए रखें।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन का यह कदम वैश्विक मंच पर भारत के प्रति समर्थन का संकेत माना जा रहा है, जबकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार अलग-थलग पड़ता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति नहीं संभाली गई, तो भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित युद्ध या बड़ा सैन्य संघर्ष हो सकता है, जिसके वैश्विक प्रभाव भी होंगे। बता दें कि कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कूटनीतिक कदम उठाए, जिसमें अटारी सीमा पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बंद करना, सार्क वीज़ा छूट योजना (SVES) को पाकिस्तानी नागरिकों के लिए निलंबित करना, और सिंधु जल संधि को रोकने की प्रक्रिया शुरू करना शामिल है।

 

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