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हिमाचल में पानी से प्रलय 20 से ज्यादा मौतें, उत्तराखंड में भी मुश्किल में जिंदगियां

शिमला
 हिमाचल प्रदेश में दो दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण राज्यव्यापी बाढ़ और भूस्खलन के कारण सोमवार को कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।पुलिस ने कहा कि राज्य की राजधानी में भगवान शिव के एक मंदिर के ढह जाने से नौ लोगों की मौत हो गई।

हिमाचल में जल से हाहाकार

सोलन जिले के जादोन गांव में बादल फटने से 7 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा तीन लोग लापता बताए जा रहे हैं। पुलिस ने सोमवार को बताया कि रविवार रात को बादल फटने से दो मकान बह गए और हादसे में छह लोगों को बचाया गया है। हिमाचल के शिमला में भी एक ऐसा ही बड़ा हादसा हुआ। भूस्खलन के कारण शिमला के समर हिल इलाके में एक शिव मंदिर में यह हादसा हुआ है। शिव मंदिर पर एक पहाड़ टूट कर गिर पड़ा। इस हादसे में करीब 24 से ज्यादा लोग मलबे में दब गए। अब तक 9 लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं।

यह मंदिर समर हिल में स्थित था। आपदा के वक्त मंदिर में 25-30 लोग मौजूद थे। श्रावण मास के कारण मंदिर में भीड़ थी।

एक पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, मलबे से पांच लोगों को निकाला गया है।मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने मृतकों की संख्या की पुष्टि करते हुए कहा कि अब तक नौ शव निकाले जा चुके हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, "स्थानीय प्रशासन लोगों को बचाने को मलबे को हटाने के लिए काम कर रहा है।"

एक अन्य प्राकृतिक आपदा में, सोलन जिले के कंडाघाट क्षेत्र में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के बाद सात लोग जिंदा दफन हो गए।यह आपदा राज्य की राजधानी से करीब 45 किलोमीटर दूर धवला उप-तहसील के जादोन गांव में देर रात करीब 1.30 बजे घटी।

अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि चार शव बरामद कर लिए गए हैं और पांच को बचा लिया गया है। तीन लापता लोगों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान जारी है।

बारिश के कहर ने बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचाया है और पहाड़ी राज्य में कई लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।मंडी जिले में बारिश के कारण छह लोगों की मौत हो गई।

मंडी के डिप्टी कमिश्नर अरिंदम चौधरी ने कहा कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।मझवार गांव में दो घर और एक गौशाला क्षतिग्रस्त हो गए, जहां दो लोग लापता बताए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से बादल फटने और भूस्खलन की खबरें सामने आई हैं, इससे जान-माल का नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा, "मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वे फिसलन वाले क्षेत्रों से बचें और जल निकायों से दूर रहें।"

चंडीगढ़-मनाली राजमार्ग शुक्रवार से मंडी और कुल्लू के बीच यातायात के लिए बंद है, जबकि सोमवार को भूस्खलन के कारण मंडी और कुल्लू के बीच वैकल्पिक मार्ग भी अवरुद्ध हो गए।

मनाली और कुल्लू के बीच ब्यास नदी का प्रवाह काफी बढ़ गया है। कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा तथा नूरपुर कस्बों में नदी से सटे क्षेत्र भी ऐसे ही हैं।

उत्तराखंड में जलप्रलय जैसी स्थिति

इधर उत्तराखंड में भी हालात बेहद भयानक है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड के छह जिलों— देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उधमसिंह नगर, नैनीताल और चंपावत में सोमवार के लिए बारिश का रेड अलर्ट तथा हरिद्वार में ऑरेंज अलर्ट जारी करते हुए भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। पौड़ी जिले के लक्ष्मणझूला क्षेत्र में सोमवार को भूस्खलन होने के बाद चार से पांच व्यक्तियों के लापता होने की खबर है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पौड़ी में अतिवृष्टि के कारण कई लोगों के हताहत होने की सूचना मिली है जो अत्यंत दुखद है। एक ट्वीट में धामी ने कहा कि प्रदेश में हो रही भारी बारिश के संबंध में उन्होंने एक उच्चस्तरीय बैठक की तथा अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों एवं वहां किए जा रहे राहत व बचाव कार्यों की जानकारी प्राप्त की।

केदारनाथ के समीप लिंचोली में सोमवार तड़के भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन की चपेट में एक तंबू के आ जाने से उसमें सो रहे एक नेपाली मजदूर की मौत हो गई । रुद्रप्रयाग के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि अतिवृष्टि के कारण पहाड़ी की तरफ से बरसाती नाले में आया मलबा नेपाली बसावट में घुस गया जिसके नीचे दबकर कपिल बहादुर (27) की मौत हो गई। कपिल नेपाल का रहने वाला था।

उत्तराखंड में बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर हैं। कई जगहों पर लैंड स्लाइड होने की वजह से यहां कई रास्ते भी बंद हैं। चमोली जिले में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बद्रीनाथ हाईवे पर मायापुर में पहाड़ से आए मलबे के कारण कई गाड़ियां भी यहां दब गई थीं। रविवार को यहां नंदाकिनी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया था।

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