कारोबार

अर्थव्यवस्था में नवंबर में तेजी से पेट्रोल-डीजल-जेट ईंधन की बिक्री बढ़ी

नई दिल्ली।

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल नवंबर में भारत में पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन की बिक्री में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में उछाल आया है, जो देश में आर्थिक गतिविधियों के उच्च स्तर को दर्शाता है।

त्योहारी महीने में ईंधन की मांग में वृद्धि के कारण इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की पेट्रोल बिक्री नवंबर में 8.3 प्रतिशत बढ़कर 3.1 मिलियन टन हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में 2.86 मिलियन टन की खपत हुई थी। ईंधन की बिक्री में सरकारी स्वामित्व वाली इन दिग्गज कंपनियों का हिस्सा 90 प्रतिशत से अधिक है। इसी तरह, राजमार्गों पर माल की आवाजाही बढ़ने और रबी फसल की बुवाई के मौसम के दौरान कृषि क्षेत्र की बढ़ती मांग के कारण नवंबर के दौरान डीजल की खपत 5.9 प्रतिशत बढ़कर 7.2 मिलियन टन हो गई। देश में हवाई यात्रा में वृद्धि के कारण नवंबर के दौरान जेट ईंधन (एटीएफ) की बिक्री में सालाना आधार पर 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 6,50,900 टन हो गई। अक्टूबर में 6,36,100 टन ईंधन की बिक्री की तुलना में यह मासिक आधार पर 2.3 प्रतिशत अधिक थी। सरकार द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के तहत अधिक घरों ने रसोई गैस का उपयोग करना शुरू कर दिया है, इसके परिणामस्वरूप नवंबर में एलपीजी की बिक्री भी सालाना आधार पर 7.3 प्रतिशत बढ़कर 2.76 मिलियन टन हो गई। आर्थिक गतिविधि में वृद्धि नवंबर में जीएसटी संग्रह में उछाल से भी देखी जा सकती है, जो 8.5 प्रतिशत बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये हो गई। यह अब तक का चौथा सबसे अधिक मासिक संग्रह है। वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा में भी आर्थिक गतिविधि के कई हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर में भी उछाल की जानकारी मिलती है। रोजगार को लेकर औपचारिक कार्यबल का विस्तार हो रहा है, विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों में उल्लेखनीय हुई है और संगठित क्षेत्रों में युवाओं का मजबूत प्रवाह हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के पूर्वानुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, "भारत की विकास कहानी बरकरार है, क्योंकि उपभोग और निवेश मांग को लेकर तेजी जारी है। कुल मांग का मुख्य आधार निजी उपभोग की संभावनाएं बेहतर कृषि परिदृश्य और ग्रामीण मांग के कारण उज्ज्वल दिखती हैं। सेवाओं में निरंतर उछाल से शहरी मांग को भी समर्थन मिलेगा।"

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