मध्‍यप्रदेश

MY हॉस्पिटल में अब मरीज को ला रहे अटेंडर को नहीं लगाना पड़ेगा स्ट्रेचर को धक्का, मिलेगी गोल्फ कार्ट स्ट्रेचर की सुविधा

इंदौर
 अब तक हम सरकारी अस्पतालों में देखते थे कि मरीज को स्वजन या अस्पताल के कर्मचारी स्ट्रेचर पर धक्का लगाकर वार्ड में लेकर जाते थे। मगर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के एमवाय अस्पताल में अब गोल्फ कार्ट स्ट्रेचर की सुविधा मिलेगी।

इसके लिए अस्पताल प्रबंधन सीएसआर फंड से गोल्फ कार्ट खरीदने की तैयारी कर रहा है। इस तरह की सुविधा फिलहाल देश के चुनिंदा संस्थानों में ही मरीजों को मिल रही है। इसमें मरीज आराम से लेटकर लिफ्ट तक पहुंचेंगे और उसे वार्ड तक ले जाया जाएगा।

इसके अलावा तल मंजिल के वार्ड, ऑपरेशन थिएटर आदि में भी मरीजों को इसी की मदद से लेकर पहुंचेंगे। इसके साथ ही एमवायएच की कैजुअल्टी में आने वाले मरीज चाचा नेहरू अस्पताल, सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल, कैंसर अस्पताल, टीबी अस्पताल तक भी इसकी मदद से पहुंच जाएंगे।

    अस्पताल में गोल्फ कार्ट स्ट्रेचर को सीएसआर से खरीदने की तैयारी की जा रही है। इससे मरीजों को सुविधा मिलने लगेगी। – डॉ. अशोक यादव, अधीक्षक, एमवायएच

प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार ऐसी सुविधा

दावा किया जा रहा है कि यह प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल होगा, जहां इस तरह की सुविधा मरीजों को मिलने लगेगी। अधिकारियों ने बताया कि एमवायएच की केजुअल्टी में बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं।

यहां इंदौर के अलावा आसपास के जिलों से भी मरीज आते हैं। ऐसे में अब स्ट्रेचर धकाकर मरीजों को लिफ्ट तक और फिर लिफ्ट से वार्ड तक ले जाया जाता है। इसमें समय ज्यादा लग जाता है। लेकिन गोल्फ कार्ट स्ट्रेचर की मदद से मरीजों को पहुंचाने की सुविधा मिलने लगेगी।

खास बात यह है कि इस सुविधा को कॉलेज परिसर के अन्य अस्पतालों में भी उपलब्ध कराने की तैयारी है। मगर, यह तभी मिल पाएगी, जब इन अस्पतालों में सड़क निर्माण का काम पूरा हो जाएगा।

गोल्फ कार्ट स्ट्रेचर में क्या-क्या सुविधाएं

यह ई-व्हीकल होगा, जो एक बार चार्ज होने के बाद कई घंटों तक चलेगा। इसमें बोतल टांगने की भी व्यवस्था रहेगी। इसकी मदद से मरीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान आसानी से ले जाया जा सकेगा। वहीं, स्वजन को इस स्ट्रेचर को धक्का देने की जरूरत नहीं होगी।

वर्तमान स्थिति में कई बार स्वजन स्वयं मरीज का स्ट्रेचर ले जाते नजर आते हैं। वह ही मरीजों को वार्ड तक लेकर जाते हैं। ऐसे में उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, अस्पताल के कर्मचारी भी इस काम को करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button