मध्‍यप्रदेश

प्रदेश में जनजातियों के विकास से जुड़ी सभी प्रकार की अधोसंरचनाएँ अब जनजातीय कार्य विभाग का खुद का टेक्निकल विंग बनायेगा

अब ट्राइबल का खुद का टेक्निकल विंग बनायेगा जनजातीय विकास की अधोसंरचनाएँ

प्रदेश में जनजातियों के विकास से जुड़ी सभी प्रकार की अधोसंरचनाएँ अब जनजातीय कार्य विभाग का खुद का टेक्निकल विंग बनायेगा

टेक्निकल विंग के लिये 177 पद मंजूर, ट्राईबल टेक्निकल विंग सेट-अप को मंजूरी

भोपाल

प्रदेश में जनजातियों के विकास से जुड़ी सभी प्रकार की अधोसंरचनाएँ अब जनजातीय कार्य विभाग का खुद का टेक्निकल विंग बनायेगा। विभाग में नये टेक्निकल विंग की स्थापना की गई है। राज्य शासन द्वारा ट्राईबल टेक्निकल विंग सेट-अप को मंजूरी दे दी गई है। इसके लिये 177 नये पद भी शासन ने स्वीकृत किये हैं। इसमें अधीक्षण यंत्री (एस.ई) का एक पद, कार्यपालन यंत्री (ई.ई) के 6, सहायक यंत्री (सिविल) के 25, सहायक यंत्री (विद्युत) के 3, उपयंत्री (सिविल) के 123, उपयंत्री (विद्युत) के 9, प्रगति सहायक के 7 तथा निर्माण सहायक, सहायक मानचित्रकार एवं अनुरेखक के एक-एक पद को मंजूरी दी गई है। पदों की मंजूरी मिलने के बाद अब जनजातीय कार्य विभाग द्वारा विभागीय स्तर या अन्य शासकीय भर्ती एजेन्सीज के माध्यम से टेक्निकल विंग स्टॉफ की भी जल्द से जल्द भर्ती की जायेगी।

ट्राईबल टेक्निकल विंग के हेड अधीक्षण यंत्री (एसई) होंगे, जो जनजातीय कार्य मुख्यालय से विभागीय निर्माण कार्यों का सुपर विजन करेंगे। इनके अधीन 6 ईई होंगे। एक ईई मुख्यालय के कार्यों के अलावा भोपाल एवं नर्मदापुरम संभाग के सभी जिलों का काम देखेंगे। एक ईई इंदौर मुख्यालय से इंदौर एवं उज्जैन संभाग के सभी जिलों का काम संभालेंगे। सागर और जबलपुर संभाग के जिलों के कार्यों के लिये भी एक-एक ईई को दायित्व सौंपा गया है। ग्वालियर के ईई ग्वालियर के साथ-साथ चंबल संभाग तथा शहडोल में पदस्थ ईई शहडोल सहित रीवा संभाग के सभी जिलो में विभागीय निर्माण कार्यों को समय पर पूरा कराने तथा मॉनीटरिंग के लिये उत्तरदायी होंगे।

उल्लेखनीय है कि अब तक जनजातीय कार्य विभाग के अधीन स्कूल, छात्रावास, आश्रम शालाएँ, क्रीड़ा परिसर, कन्या शिक्षा परिसर, प्रशासनिक भवन आदि विभागीय संरचनाएँ पीडब्ल्यूडी, पीआईयू, भवन निर्माण इकाई, एम.पी. हाऊसिंग बोर्ड जैसी निर्माण एजेंसियों से कराये जाते थे। इसमें बहुत समय ज्यादा लग जाता था और निर्माण कार्य की लागत भी बढ़ जाती थी। अब जनजातीय कार्य विभाग अपने खुद के टेक्निकल विंग के जरिये निर्धारित लागत तक के विकास एवं उन्नयन कार्य ओपन टेण्डर के जरिये अपने नियम-शर्तों एवं तय समय-सीमा में ही करा सकेगा। इस टेक्निकल विंग कितनी लागत के निर्माण कार्य कराये जाने हैं, यह जनजातीय कार्य विभाग तय करेगा।

 

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