छत्‍तीसगढ़

छत्तीसगढ़-बलरामपुर में कबाड़ खरीदी बंद होने से दर्जनों मजदूरों पर गहराया संकट

बलरामपुर.

बलरामपुर रामानुजगंज विगत 10 दिनों से दीपावली के समय में कबाड़ खरीदी बंद होने से नगर के अधिकांश घरों में साफ-सफाई के बाद कबाड़ कोने में पड़ा हुआ है। यदि कबाड़ की खरीदी होती तो उसे सभी बेच देते, लेकिन कबाड़ की खरीदी नहीं होने से परेशानी बहुत बढ़ गई है। सभी लोग बेसब्री से कबाड़ खरीदी होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि घर का बिना उपयोग का सामान है कबाड़ में बिक सके।

गौरतलब है कि सूरजपुर में कबाड़ व्यवसायी के द्वारा की गई घटना के बाद कबाड़ खरीदी रामानुजगंज में भी बंद कर दी गई है। जबकि सूरजपुर एवं रामानुजगंज की स्थिति में काफी अंतर है। यहां कोई बड़ा कबाड़ कारखाना या ऐसा कोई शासकीय उपक्रम नहीं है, जिससे कबाड़ का बहुत बड़ा अवैध कारोबार हो। ऐसे में रामानुजगंज में कबाड़ खरीदी बंद कर दिए जाने से दीपावली के समय में नगर के सैकड़ो घरों के लोग परेशान हो गए हैं। कुछ घरों में तो घर के बाहर कबाड़ को रख दिया गया है। वहीं, कुछ घरों में घर के अंदर ही कबाड़ को रखकर बेचने का इंतजार किया जा रहा है। ऐसे में प्रशासन को गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए कबाड़ खरीदी करवाना सुनिश्चित करना चाहिए।

कई घरों में नहीं जल पाएंगे दिए
दीपावली सभी के लिए उत्साह उमंग एवं खुशी लेकर आता है। परंतु उन दर्जनों मजदूरों की क्या गलती है, जो साल भर दीपावली का इंतजार करते हैं एवं घूम-घूमकर कबाड़ खरीदते हैं, ऐसे में उनके घरों में दिए कैसे जलेंगे खुशी कैसे आएगी जब पैसे नहीं रहेंगे। दीपावली के साफ सफाई के बाद घरों से टूटा साइकिल कार्टून, सीसी किताब, टूटा कुर्सी सहित अन्य लोहा टीना का सामान निकलता है। कबाड़ के रूप में परंतु कबाड़ खरीदी बंद होने से यह सब अभी भी दीपावली में कचडा पड़ा हुआ है। बहुत से ऐसे लोग सुबह-सुबह दिख जाते हैं, जो घूम-घूमकर कबाड़ बीनते हैं। दीपावली उनके लिए खुशियां लेकर आती है। वह घूम-घूमकर जो कचरा में कबाड़ फेंक देते हैं उसको जमा करते हैं फिर जाकर बेच देते हैं। इसी प्रकार कई मजदूर भी दीपावली के समय कबाड़ घूम-घूमकर खरीदते हैं, जिससे वह 500 से 2000 तक कमा लेते हैं। परंतु इस व्यवसाय से जुड़े सब लोगों के चेहरे पर मायूसी है। इनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए त्वरित प्रशासन को गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।

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