अंतर्राष्ट्रीय

भारत से तनाव के बीच जस्टिन ट्रूडो को अपने ही लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा

ओटावा

भारत के साथ जारी तनाव के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपने ही लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर लोग ट्रूडो की विदाई पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रूडो ने भारत के साथ जारी राजनायिक विवाद को कूटनीतिक तौर पर हल करने के बजाय और बढ़ा दिया है जिससे एक महत्वपूर्ण साझेदार देश कनाडा से अलग हो गया है। सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा उस समय और भड़क गया जब ये खुलासा हुआ कि जस्टिन ट्रूडो के करीबी सहयोगियों ने भारत के संबंध में खुफिया जानकारी सबसे पहले एक अमेरिकी अखबार को दी थी, जबकि पुलिस ने उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो वरिष्ठ सहयोगी ने अमेरिका के एक समाचार पत्र को भारत से संबंधित गोपनीय जानकारी साझा की थी। इनमें ट्रूडो की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नथाली ड्रूइन भी शामिल हैं। इस जानकारी में कनाडा के मामलों में भारत के 'हस्तक्षेप' का दावा किया गया। ये खुलासा एक कनाडाई अखबार ने किया है। यह जानकारी उस समय दी गई थी जब कनाडा की संघीय पुलिस ने आरोप लगाया था कि भारतीय सरकार के 'एजेंट' अपराधी गिरोहों के साथ काम करते हैं ताकि दक्षिण एशियाई लोगों, विशेष रूप से खालिस्तानी समर्थकों को निशाना बनाया जा सके।

रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) के आयुक्त माइक दुहेम और उनकी डिप्टी ब्रिगिट गौविन ने मीडिया से कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारतीय सरकारी 'एजेंट' का लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के साथ संबंध है और वे कनाडा के नागरिक, खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल हैं। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पिछले साल जून में हुई थी। इसके अलावा, उन्होंने 'वसूली, धमकी और दबाव' के मामलों में भी भारत का हाथ होने का आरोप लगाया। भारत ने इन आरोपों को सख्ती से खारिज किया और इन्हें 'बेतुका आरोप' बताया। भारत ने यह भी कहा कि जब से यह आरोप लगाए गए हैं तब से कनाडाई सरकार ने भारत सरकार के साथ कोई ठोस सबूत साझा नहीं किया है, जबकि कई बार अनुरोध किया गया।

कनाडाई अखबार के सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी समाचार पत्र को निर्देश दिया गया था कि वह तब तक कुछ भी रिपोर्ट न करे जब तक दुहेम और गौविन अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर लेते। बाद में समाचार पत्र ने 'कनाडाई अधिकारियों' का हवाला देते हुए रिपोर्ट प्रकाशित की, जिन्होंने निज्जर की हत्या को भारत से जोड़ा, हालांकि संघीय पुलिस ने ऐसा नहीं किया था। इससे पता चलता है कि ट्रूडो सरकार के तहत काम करने वाले बड़े कनाडाई अधिकारी गोपनीय जानकारी पुलिस के पास जाने से पहले अखबरों को दे रहे हैं।

एक्स पर Kirk Lubimov नाम के एक यूजर ने अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा, "यह स्थिति स्पष्ट हो चुकी है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को थैंक्सगिविंग मंडे के दिन भारत के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी क्योंकि उनकी अपनी ही टीम के कुछ सदस्यों ने खुफिया जानकारी वॉशिंगटन पोस्ट को लीक कर दी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ दिन बाद ट्रूडो ने यह स्वीकार किया कि कनाडा के पास भारत के खिलाफ आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को ट्रूडो बीच में ही छोड़कर चले गए और बाकी का काम मेलानी जोली और डॉमिनिक लेब्लांक ने संभाला।"

यूजर ने आगे लिखा, "इस बीच, गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हमारे सहयोगी भारत के खिलाफ हिंसक धमकियां दी हैं। भारत उसे आतंकवादी मानता है लेकिन पन्नू ने खुद यह स्वीकार किया है कि वह ट्रूडो के ऑफिस के साथ काम कर रहा है। इसके बाद, लिबरल पार्टी ने इस मुद्दे की जांच के लिए निर्वाचित अधिकारियों की समिति बनाने का प्रस्ताव रोक दिया और भारत के हस्तक्षेप की जांच करने का प्रयास भी बाधित किया। इसी दौरान, चीन इस पूरी स्थिति को देखकर किनारे पर खड़ा हंस रहा है।" एक अन्य यूजर ने लिखा, "जब पॉलिवेयर अगले चुनाव में लिबरल्स को हरा देंगे… तो यह राष्ट्रीय अवकाश होगा।"

एक यूजर ने लिखा, "मैं कंजर्वेटिव पार्टी से अनुरोध करना चाहता हूं कि जब ये आदमी पार्टी से इस्तीफा दे, हार जाए या उसे पार्टी से निकाल दिया जाए और वह हमेशा के लिए राजनीति छोड़ दे तो राष्ट्रीय अवकाश घोषित करें।" एक यूजर ने लिखा, "ट्रूडो का इस स्थिति से गलत तरीके से निपटना शर्मनाक है। कोई ठोस सबूत नहीं होने के बावजूद, भारत पर आरोप लगाने में जल्दबाजी की जा रही है – फिर जांच को रोका जा रहा है? इस बीच, पन्नt जैसे वास्तविक खतरों पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। और हां, चीन को मजा आ रहा है।"

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