मध्‍यप्रदेश

मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी विस्तार पर खींचतान की छाया

भोपाल
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बड़ी हार मिलने के बाद कांग्रेस अंदरखाने चलने वाली खींचतान से अब तक नहीं उबर पाई है। यही कारण है कि प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के 10 माह बाद भी जीतू पटवारी अपनी टीम बनाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। राज्य में वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था और तत्कालीन अध्यक्ष कमलनाथ के स्थान पर प्रदेश अध्यक्ष की कमान जीतू पटवारी को सौंपी गई। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी में संभावित प्रदेश कार्यकारिणी के गठन पर सब की नजर है मगर वक्त गुजरता जा रहा है और नियुक्तियां नहीं हो पा रही है। राज्य में कुछ पदाधिकारी और मीडिया विभाग में नियुक्तियां जरूर हुई है मगर अधिकांश पद अब भी खाली हैं।

राज्य की कांग्रेस की बात करें तो गुटबाजी और पार्टी एक दूसरे के लंबे अरसे तक पर्याय रहे हैं। एक बार फिर लगभग वही स्थिति बनती जा रही है क्योंकि वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा कमलनाथ की सक्रियता लगातार कम होती जा रही है तो वही नए लोगों को कोई मौका नहीं मिल पा रहा है। नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी प्रदेश की कार्यकारिणी के गठन के साथ जिम्मेदारी का इंतजार है।

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष पटवारी नई कार्यकारिणी का गठन करना चाहते हैं और इसके लिए वे दिल्ली में पार्टी नेतृत्व से भी कई बार बात कर चुके हैं। वहीं राज्य के पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को पद दिलाना चाहते हैं जिसके चलते आम सहमति नहीं बन पा रही है। इतना ही नहीं पार्टी को जातीय समीकरण के आधार पर भी प्रतिनिधित्व देने की चुनौती बनी हुई है।

पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि नियुक्तियां न होने का बड़ा असर संगठन की गतिविधियों पर पड़ रहा है और यही कारण है कि वर्तमान की राज्य सरकार के खिलाफ मुद्दे कई हैं उसके बावजूद पार्टी की ओर से कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं किया जा पा रहा है। हर कार्यकर्ता और नेता ‘पद’ यानी जिम्मेदारी चाहता है, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। जब नेता के पास पद ही नहीं है तो वह सक्रिय क्यों होगा यह बड़ा सवाल है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button