भारत के ग्रामीण इलाकों में लोगों के खर्च करने की प्रवृति में सुधार हुआ – RBI
नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने मई 2024 के लिए जारी अपने मंथली बुलेटिन में कहा है कि लोग इस बात को लेकर आश्वस्त हो रहे हैं कि भारतीय इकॉनमी टेकऑफ करने वाली है। आंकड़े बता रहे हैं डिमांड में जोरदार उछाल देखने को मिल सकता है। ग्रामीण इलाकों में नॉन-फूड चीजों पर खर्च बढ़ रहा है। यह इस बात का संकेत है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों के खर्च करने की प्रवृति में सुधार हो रहा है। लेख में कहा गया है कि भारत में गरीबी और अत्यधिक अभाव जैसी पुरानी अवधारणाएं विलुप्त होने को हैं। घरेलू मांग में निरंतर तेजी और कामकाजी उम्र की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए लेख में कहा गया है कि, 'इटरनैशनल लेवल पर यह आशावाद बढ़ रहा है कि भारत आर्थिक प्रगति के शिखर पर है।'
बुलेटिन में कहा कि भारत में डिमांड मोमेंटम बढ़ रहा है। ग्रामीण खर्च में सुधार के कारण कुल नॉन-फूड खर्च बढ़ रहा है। कम से कम दो वर्षों में पहली बार पिछली तिमाही में डेली यूज की उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) की गांवों में मांग शहरी बाजारों से आगे निकल गई है। घरेलू और व्यक्तिगत देखभाल से जुड़े उत्पादों की मजबूत मांग से FMCG वस्तुओं की मात्रा में वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही। इस वृद्धि को 7.6 प्रतिशत की ग्रामीण वृद्धि से गति मिली। वहीं शहरी क्षेत्रों में वृद्धि 5.7 प्रतिशत थी।
रिजर्व बैंक का कहना है कि दूसरी छमाही में 4% इनफ्लेशन का टारगेट हासिल किया जा सकता है। रिजर्व बैंक के बुलेटिन में कहा गया है, 'इस साल की दूसरी छमाही में ही इनफ्लेशन टारगेट टिकाऊ बना रह सकता है और 2025-25 के दौरान भी आंकड़ा टारगेट के आसपास रह सकता है'। बता दे कि आरबीआई हर महीने बुलेटिन जारी करता है। केंद्रीय बैंक ने साफ कहा कि बुलेटिन में लिखी बातें लेखकों के विचार है।
हेडलाइन इंफ्लेशन के नीचे आने और ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंचने के बावजूद खाद्य श्रेणी में सब्जियों, अनाज, दाल, मांस और मछली की कीमतें निकट अवधि में रिटेल इंफ्लेशन को ऊंची और पांच प्रतिशत के करीब रख सकती है। यह अप्रैल में जारी अनुमान के अनुरूप है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवबत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने 'अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक लेख में कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी के लिए परिदृश्य नाजुक होता जा रहा है। इसका कारण एक तरफ महंगाई में जो गिरावट आ रही थी, वह अब थमती जा रही है।
'कंपनियों के रिजल्ट'
लेख में कहा गया है कि लिस्टेड कंपनियों के अबतक घोषित वित्तीय परिणाम बताते हैं कि उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना और तिमाही आधार पर रेवेन्यू में जो वृद्धि हासिल वह सर्वाधिक थी। लेख में लिखा गया है। कि हेडलाइन इंफ्लेशन में इस साल अप्रैल में मामूली कमी आई। यह हमारी उम्मीदों के अनुरूप है।